भारतीय दर्श न मे ं ‘मोक्ष-विचार’ The Doctrine of Liberations in Indian Philosophy

Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020) Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 25/11/2020, Date of Publication: 26/11/2020 ललन कुमार अतिथि व्याख्याता, दर्शन शास्त्र विभाग, राजेन्द्र मिश्र महाविद्यालय, सहरसा, बिहार, भारत Abstract मोक्ष का शाब्दिक अर्थ श्मुक्तिश् ह ै। भारतीय दर्श न में मोक्ष का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण ह ै। दर्श न की का ेई भी शाखा मोक्ष की उपेक्षा नहीं कर सकता क्या ेंकि भारत में दर्श न का अंतिम लक्ष्य मोक्ष ह ै। चार्वाक को छा ेड़कर भारतीय दर्श न की प्रत्येक शाखा यथा जैन, बा ैद्ध, न्याय, व ैशेषिक, सांख्य-योग आ ैर मीमा ंसा-वेदा ंत मोक्ष को मनुष्य का परम प ुरुषार्थ स्वीकार किया ह ै। मनुष्य के प्रत्येक कर्म और उसके संपूर्ण जीवन में मा ेक्ष एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। The literal meaning of Moksha is “Freedom”. The place of salvation is very important in Indian philosophy. No branch of philosophy can ignore salvation because salvation is the ultimate goal of philos...