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सामाजिक आर्थिक परिवर्तन में सामन्तवाद की भ ूमिका (700 ई. से 1200 ई. तक) Role of Feudalism in Socio-Economic Change (700 AD to 1200 AD)

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  Innovation : The Research Concept  ISSN No. 2456–5474   RNI No. UPBIL/2016/68367  Vol.-6* Issue-6* July- 2021   Paper Submission: 02/07/2021, Date of Acceptance: 14/07/2021, Date of Publication: 25/07/2021 अरविन्द कुमार चैधरी पूर्व शोध छात्र प्राचीन इतिहास विभाग, डाॅ0 राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, भारत                                                    Abstract   प ूर्व मध्यकाल में एक विशिष्ट वर्ग ’सामन्त’ का उदय ह ुआ। यह समाज का एक शक्तिशाली वर्ग था। इसका पूर्ण विकास पूर्ण मध्य काल में ही ह ुआ। राजपूता ें के सम्पूर्ण राज्य छोटे-छा ेटे जागीरदारा ें में विभक्त थे। जागीरदारों का प ्रशासन सामान्तों के हाथा ें में था। सामन्ता ें का े उच्च राजकीय पदा ें पर नियुक्त किया जाता था। अधिकाधिक सामन्त रखना सम्राटों के लिए गा ैरव की बात थी। चहवान शासक पृथ्वीराज तृतीय के अधीन 150, कलिचुर कर्ण  136 तथा ...

वैदिक प्रतिमा-विज्ञान Vedic Iconography (Refers to the antiquity of Icongraphy)

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 Anthology : The Research  ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-6* Issue-3* June- 2021 Paper Submission: 04/06/2021, Date of Acceptance: 15/06/2021, Date of Publication: 25/06/2021 सीमा श्रीवास्तव सहायक प्राध्यापक, प्राचीन इतिहास विभाग, भवानी प्रसाद पाण्डेय पी0 जी0 कालेज,गोरखपुर उत्तर प्रदेश, भारत ;सम्बन्ध दी0 द0 उ0 गो0 वि0 वि0 गोरखपुरद्ध                                                    Abstract   प्रस्तुत शा ेध पत्र में विवेच्य काल के सन्दर्भ में प्रतिमा शब्द का अर्थ, विवेचन एव ं उसका स्वरुप निर्धा रण करने का प्रयास किया गया ह ै । यह शा ेध व ैदिक कालीन देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ तथा उनकी लक्षणागत व ैशिष्टय को रेखा ंकित करता ह ै आ ैर ए ेतिहासिक शोध प्रणाली पर आधारित ह ै । इस शा ेध पत्र में प्रतिमा से तात्पर्य भक्तिभा...