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राजस्थान राज्य के पश ुमेलो ं के कोरोना काल मे ं रोक लगने से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव Impact on Economy due to Banning of Cattle in Rajasthan State during Corona Period

  Innovation : The Research Concept   ISSN No. 2456–5474   RNI No. .UPBIL/2016/68367  Vol.-6* Issue-3* April- 2021  Paper Submission: 28/03/2021, Date of Acceptance: 15/04/2021, Date of Publication: 20/04/2021   नीलू चतुर्व ेदी शोधार्थी भूगोल, महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर, राजस्थान, भारत       Abstract   राजस्थान की कृषिप्रधान अर्थव्यवस्था में पशुपालन व्यवसाय का विशेष महत्व है। राजस्थान के कृषकों के लिये पशुपालन न केवल जीविकोपार्जन का आधार है, बल्कि यह उनके लिये रा ेजगार आ ैर आय प्राप्ति का सुदृढ़ तथा सहज स्रा ेत भी है। राज्य के मरुस्थलीय आ ैर पर्व तीय क्षेत्रा ें में भा ैगोलिक आ ैर प्राकृतिक परिस्थितियों का सामना करने के लिये एकमात्र विकल्प पशुपालन व्यवसाय ही रह जाता है। भा ैगा ेलिक परिस्थितियाँ विषम होने पर भी राजस्थान की जलवायु पशुपालन व्यवसाय के लिये सर्वा धिक उपयुक्त है। चूकिं हमारे राजस्थान में अधिकांश भू-भाग पर मानसून आधारित कृषि की जाती है जो कि पूर्ण तः वर्षा जल पर आधारित हा ेती है इसलिय कृषि का े मानस...

राजस्थान राज्य के पश ुमेलो ं के कोरोना काल मे ं रोक लगने से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव Impact on Economy due to Banning of Cattle in Rajasthan State during Corona Period

  Innovation : The Research Concept  ISSN No. 2456–5474   RNI No. UPBIL/2016/68367  Vol.-6* Issue-3* April- 2021  Paper Submission: 28/03/2021, Date of Acceptance: 15/04/2021, Date of Publication: 20/04/2021 नीलू चतुर्व ेदी शोधार्थी भूगोल, महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर, राजस्थान, भारत                                                      Abstract   राजस्थान की कृषिप्रधान अर्थव्यवस्था में पशुपालन व्यवसाय का विशेष महत्व है। राजस्थान के कृषकों के लिये पशुपालन न केवल जीविकोपार्जन का आधार है, बल्कि यह उनके लिये रा ेजगार आ ैर आय प्राप्ति का सुदृढ़ तथा सहज स्रा ेत भी है। राज्य के मरुस्थलीय आ ैर पर्व तीय क्षेत्रा ें में भा ैगोलिक आ ैर प्राकृतिक परिस्थितियों का सामना करने के लिये एकमात्र विक...

भरतप ुर जिले मे ं मानव संसाधन विकास Human Resource Development in Bharatpur District

  Innovation : The Research Concept  ISSN No. 2456–5474   RNI No. UPBIL/2016/68367 VOL- VI * ISSUE- IV * May - 2021   Paper Submission: 05/04/2021, Date of Acceptance: 23/04/2021, Date of Publication: 25/04/2021   शिखा सिंह शोध छात्रा, भूगोल विभाग, महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय, भरतपुर, राजस्थान, भारत                                                        Abstract   मानव एक महत्त्वपूर्ण संसाधन ह ै क्या ेंकि चिन्तन करना मानव का एक विशेष गुण ह ै। अपने इसी गुण के कारण मानव प्रकृति द्वारा दिये गय े समस्त संसाधनों का उपया ेग करता ह ै तथा इन संसाधनों से ही मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता ह ै। संसाधन आ ैर मानव पारस्परिक रूप से संब ंधित होते ह ै। जिसमें मानव महत्त्वपूर्ण  हा ेता है क्योंकि मानव अपने विवेकप ूर्ण कार्यों द्वारा नई सृष्टि का निर्माण करता ह ै। जिसको मानव सभ्यता कहा जाता ह ै। मानव की पा...

अनुसूचित जनजाति वर्ग के आर्थिक विकास में पोषण स्तर का योगदान मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले की पेटलावद तहसील के विशेष संदर्भ मे Contribution of Nutrition Level In Economic Development of Scheduled Tribes With Special Reference To Petlavad Tehsil of Jhabua District of Madhya Pradesh

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Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020) Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 27/11/2020, Date of Publication: 28/11/2020     धर्म ेन्द्र सिंह चैहान शोध छात्र, भूगोल विभाग, द ेवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर, मध्य प्रदेश , भारत Abstract   मानव का प्रदर्श न भोजन आ ैर पोषण स्तर से प्रभावित होता ह ै, पोषण स्तरए मनुष्य की जीवित आ ैर आर्थिक स्थिति भी प्रभावित हा ेती है। मानव शरीर के स्वास्थ्य और कल्याण का े बनाए रखने के लिएए इसे ताकत आ ैर ऊर्जा की आवश्यकता होती ह ैए जो भोजन में निहित पा ेषक तत्वों कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, खनिज लवण से प्राप्त हा ेती है। किसी व्यक्ति का आर्थि क विकास तभी संभव है जब वह शारीरिक रूप से सक्षम हो। आदिवासियों की आबादी न केवल मध्य प्रदेश राज्य मेंए बल्कि प ूरे भारत में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। अध्ययन क्षेत्र की मुख्य जनजाति भील ह ैए जो प्राचीन काल से प्राकृतिक पर्या वरण से निकटता से संब ंधित रहे ह ैं। वर्तमान समय में जहां उन्नत कृषि, स्वास्थ्य सुविधाएं, व ैश्वीकरण, आधुनि...

ज ैसलमेर मे ं पाकिस्तानी शरणार्थियो ं का भ ूराजनीतिक विव ेचन Geopolitical Deliberations of Pakistani Refugees In Jaisalmer

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  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 12/11/2020, Date of Acceptance: 26/11/2020, Date of Publication: 27/11/2020 कुलदीप वैष्णव शोधार्थी भूगोल विभाग, सोफिया कॉलेज अजमेर, भारत Abstract यह शा ेध पत्र पाकिस्तानी शरणार्थि यों के अध्ययन, दशा, विश्लेषण से सम्बन्धित ह ै। विभाजन साधारण सा शब्द प्रतीतं होता ह ै पर यह विभाजन जब 2 धर्मा ें, 2 देशा ें, 2 सम्प्रदाया ें में हा े ता े यह गहरा दंश बन जाता ह ै। विभाजन की इस त्रासदी ने र्कइ  मुल्कों का े विनाश के कगार पर पहु ंचा दिया ह ै। एकता एवं अखंडता किसी भी राष्ट्र को सदृढ़ता प्रदान करते ह ै । अगस्त 1947 में अखंड भारत का ऐसा ही एक विभाजन ;बंटवाराद्ध ह ुआ जिसने भारत और पाकिस्तान के रूप में 2 स्वतंत्र राष्ट्रा ें का रूप लिया। भारत.पाकिस्तान की इस अ ंतर्राष्ट्रीय रेडक्लिफ सीमा ;त्ंकबसििपम सपदमद्ध के निकट पलायन भौगोलिक समीपता के कारण हा ेता ह ै। भारत.पाकिस्तान के विभाजन सन् 1947 से पूर्व  इनमें से र्कइ  शरणार्थियों क े पूर्व ज इन्हीं क्ष ेत्रा ें ...