राजस्थानी लोकगीत एक अमूल्य धरोहर (Rajasthani Folk Song is an Invaluable Heritage)

Srinkhala Ek Sodhparak Vaicharik Patrika (P: ISSN NO.: 2321-290X RNI : UPBIL/2013/55327 VOL-7* ISSUE-12* August- 2020 E: ISSN NO.: 2349-980X) Paper Submission: 00/00/2020, Date of Acceptance: 00/00/2020, Date of Publication: 00/00/2020 Abstract नीलम सैन सहायक आचार्य, संगीत विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, राजस्थान, भारत राजस्थान राज्य अपनी सा ंस्कृतिक विरासत के लिए अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता ह ै। यहाँ का लोकसंगीत भी मनमोहक आ ैर कलात्मक सा ैन्दर्य से परिपूर्ण ह ै आ ैर यहाँ के लोकसंगीत में रचे बसे राजस्थानी संस्कृति के द्योतक हमारे लोकगीत भी अनूठे ह ै ं लोकगीत अपने स्वरूप को सामाजिक धरोहर से प ्राप्त करते ह ैं लोकगीत सामाजिक जीवन के चित्रण मात्र नहीं ह ै व े सामाजिक जीवन को भी प्रभावित करते ह ैं। राजस्थानी लोकगीत जैसे रजवाड़ी लोकगीत, जैसलमेर के श्र ृंगारिक लोकगीत एवम् ढूँढ़ाड ़ी लोकगीत आदि ह ै। लोकगीतों के अन्तर्गत संस्कार सम्बन्धी गीत, ऋतु सम्न्धी गीत, पर्व, त्यौहार, विवाह, संया ेग, वियोग मिलन भक्ति तथा सामाजिक सम्बन्धा ें के गीत इत्यादि सम्मिलित ह ै इन लोकगीता...