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Showing posts with the label राजनीति विज्ञान

भारत मंे सामाजिक न्याय की वर्तमान दशा और दिशा Current Status and Direction of Social Justice in India

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 Anthology : The Research  ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-6* Issue-3* June- 2021 Paper Submission: 03/06/2021, Date of Acceptance: 15/06/2021, Date of Publication: 26/06/2021 सा ेमवती शर्मा  सह आचार्य, राजनीति विज्ञान राजकीय कला कन्या महाविद्यालय, कोटा, राजस्थान, भारत                                                    Abstract   भारतीय समाज में जहाँ संविधान का शासन या कानून का नियम, अनेक धर्म, प ंथ, पवित्र आदर्श, उदार संस्कृति, मानव मूल्य, नैतिक सद्गुण, ईश्वर में आस्था, उसके समक्ष सभी प्राणिया ें में समानता, विप ुल आर्थिक एव ं प ्राकृतिक सम्पदा एवं ज्ञान विज्ञान की बाह ुल्यता ह ै। वहाँ सामाजिक न्याय के प ्रति क्या वास्तविक जागरूकता ह ै ? क्या ें पददलित, निर्बल एव ं पिछड़े लोगा ें का े न्याय नहीं मिल पा रहा ह ै ? हमारी जनता ंत्रिक व्यवस्था में अभी भी बह ुत से लोगा ें का े अछूत क्या ें समझा जाता ह ै ? क्या ें करोड़ा ें बच्चे अ...

जाति आ ैर भारतीय राजनीति - एक अध्ययन Caste and Indian Politics - A Study

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  Innovation : The Research Concept  ISSN No. 2456–5474   RNI No. UPBIL/2016/68367 VOL- VI * ISSUE- IV * May - 2021    Paper Submission: 00/00/2020, Date of Acceptance: 00/00/2020, Date of Publication: 00/00/2020 मना ेज कुमार वर्मा सहायक प्राध्यापक, राजनीति विज्ञान विभाग, सन्त गणिनाथ राजकीय स्नातकोŸार महाविद्यालय मुहम्मदाबाद गोहना -मऊ उत्तर प्रदेश, भारत                                                    Abstract भारतीय राजनीति में जाति की भ ूमिका स्वतंत्रता प ूर्व आ ैपनिवेशिक काल से ही रही ह ै किन्तु स्वतंत्रता पश्चात चुनावी राजनीति में यह अधिक मुखर हुई। जाति को भारतीय राजनीति के प ्रमुख निर्धा रक तत्वों में गिना जाता ह ै। राजनीति में जातिवाद को एक नकारात्मक पहलू के रूप में देखा जाता है किन्तु कुछ विद्वान राजनीति में जाति को सामाजिक न्याय की प्राप्ति में सहायक आ ैर वंचित जातियों के लिए शासन आ ैर राजनीति में उचित स्थान दि...

वैदिक साहित्य में महिला विकास के विभिन्न आयाम Various Dimensions of Women Development in Vedic Literature

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 Innovation : the research concept  ISSN: 2456–5474 RNI No.UPBIL/2016/68367 Vol.-6* Issue-3* April-2021 Paper Submission: 05/04/2021, Date of Acceptance: 14/04/2021, Date of Publication: 25/04/2021   भ ूप ेन्द्र कुमार मीना शोधार्थी, राजनीति विज्ञान विभाग, महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय, भरतपुर राजस्थान, भारत ABSTRACT महिला विकास सामाजिक विकास की पूर्व शर्त है: महिला सृष्टि की रचनाकार ह ै । एक महिला क े विकास क े बिना समाज का विकास संभव नही ं है। भारतीय महिला विकास को समझने क े लिए महिलाओं की वैदिककालीन स्थिति का े समझना आवश्यक ह ै। व ैदिककाल महिला विकास का स्वर्ण  काल माना जाता ह ै। इस काल में महिला स्वतंत्रताप ूर्वक अपना जीवनयापन करती थी। शिक्षा के क्षेत्र म ें इस समय महिलाओं का विकास चरम पर था। महिलाए ं राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं श ैक्षणिक क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भ ूमिका निभाती थी। वैदिक साहित्य की रचना में भी महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वेदा ें की रचना में सहया ेग करने वाली प्रमुख महिलाओं में अपाला, विश्ववरा, शशि, लोपा मुद्रा आदि प्रमुख ...

वैदिक साहित्य में महिला विकास के विभिन्न आयाम Various Dimensions of Women Development in Vedic Literature

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  Innovation : The Research Concept  ISSN No. 2456–5474   RNI No. UPBIL/2016/68367  Vol.-6* Issue-3* April- 2021 Paper Submission: 05/04/2021, Date of Acceptance: 14/04/2021, Date of Publication: 25/04/2021  भ ूप ेन्द्र कुमार मीना शोधार्थी, राजनीति विज्ञान विभाग, महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय, भरतपुर राजस्थान, भारत                                                    Abstract   महिला विकास सामाजिक विकास की पूर्व शर्त है: महिला सृष्टि की रचनाकार ह ै । एक महिला क े विकास क े बिना समाज का विकास संभव नही ं है। भारतीय महिला विकास को समझने क े लिए महिलाओं की वैदिककालीन स्थिति का े समझना आवश्यक ह ै। व ैदिककाल महिला विकास का स्वर्ण  काल माना जाता ह ै। इस काल में महिला स्वतंत्रताप ूर्वक अपना जीवनयापन करती ...

21 वी शताब्दी में भारत - अमेरिकी संबंध Indo-us Relations in 21st Century

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  Innovation : The Research Concept  ISSN No. 2456–5474   RNI No. .UPBIL/2016/68367 VOL- VI * ISSUE- IV * May - 2021    Paper Submission: 03/05/2021, Date of Acceptance: 15/05/2021, Date of Publication: 25/05/2021     मह ेन्द्र कुमार पुरा ेहित वरिष्ठ व्याख्याता, राजनीति विज्ञान विभाग, राजकीय आचार्य (पी.जी.) संस्‟त महाविद्यालय, जोधपुर, राजस्थान, भारत                                                    Abstract   विश्व मे बदलते भ ू-आर्थिक व भ ू-राजनीति के दौर में भारत-अमेरिकी सम्बन्ध नए आयाम में स्थापित हा े रहे ह ैं। व ैश्विक उदारीकरण व बाजार व्यवस्था नीति से अमेरिकी हिता ें की दृष्टि से भारत का महत्व बढ़ता जा रहा ह ै ं। भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतिक हिता े का े ध्यान में रखते हुए दोना ंे देश सामरिक व रणनीतिक साझेदारी का े सुदृढ़ कर रहे ह ै ं। वैश्विक व क्षे़त्रीय सुरक्षा व शा ंति के लिए दोना ें देश सह...

जाति आ ैर भारतीय राजनीति - एक अध्ययन Caste and Indian Politics - A Study

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  Innovation : The Research Concept  ISSN No. 2456–5474   RNI No. .UPBIL/2016/68367 VOL- VI * ISSUE- IV * May - 2021    Paper Submission: 02/05/2021, Date of Acceptance: 14/05/2021, Date of Publication: 25/05/2021   मना ेज कुमार वर्मा सहायक प्राध्यापक, राजनीति विज्ञान विभाग, सन्त गणिनाथ राजकीय स्नातकोŸार महाविद्यालय मुहम्मदाबाद गोहना -मऊ उत्तर प्रदेश, भारत                                                      Abstract   भारतीय राजनीति में जाति की भ ूमिका स्वतंत्रता प ूर्व आ ैपनिवेशिक काल से ही रही ह ै किन्तु स्वतंत्रता पश्चात चुनावी राजनीति में यह अधिक मुखर हुई। जाति को भारतीय राजनीति के प ्रमुख निर्धा रक तत्वों में गिना जाता ह ै। राजनीति में जातिवाद को एक नकारात्मक पहलू के रूप में देखा जाता है किन्तु कुछ विद्वान राजनीति में जाति को सामाजिक न्याय की प्राप्ति में सहायक आ ैर वंचित जातियों के लिए शासन आ ैर...

एशिया मे ं मोदी की विद ेश नीति Modi's Foreign Policy in Asia

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  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 VOL- V * ISSUE- V * August - 2020   )   Paper Submission: 12/08/2020, Date of Acceptance: 23/08/2020, Date of Publication: 26/08/2020   सत्येन्द्र कुमार शोध-छात्र, विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग, बी.आ.ए.बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर, बिहार, भारत Abstract   1990 ई. के दशक के बाद से एशिया विश्व राजनीति आ ैर प्रतिस्पर्धा  का केन्द्र बन गया है। एशिया की उभरती हुई दो महाशक्तियाँ चीन आ ैर भारत हैं। चीन विश्व की दूसरी सबसे बड ़ी अर्थव्यवस्था है, वही भारत क्रयशक्ति के आधार पर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। मई 2014 ई. में प्रधानमंत्री नरेन्द ्र मा ेदी के द्वारा भारत की सत्ता संभालने के पश्चात विदेश नीति के मा ेर्चे पर काफी सक्रियता देखी जा रही है। अपने पहले कार्यकाल के शपथ-ग्रहण समारा ेह में सार्क सदस्य देशा ें सहित माॅरिशस को भी आमंत्रित किया गया था आ ैर यह संदेश देने का प्रयास किया गया था कि विदेश नीति के मोर्चे पर सर्वप्रथम पड़ोसी देशों के साथ संबंधा ें म ें विश्वास आ ैर सु...

संवैधानिक अधिकार और कर्तव्यो ं का महत्व Importance of Constitutional Rights and Duties

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Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 26/11/2020, Date of Publication: 27/11/2020 बुध राम शोध छात्र, राजनीति विज्ञान विभाग, श्री खुशाल दास विश्वविद्यालय, हनुमानगढ ़, राजस्थान, भारत                                                             Abstract    भारतीय नागरिका ें को अपने सर्वा ंगीण विकास के लिए संविधान म ें अधिकारों का वर्ण न किया गया ह ै। संविधान बिना किसी भेदभाव के सभी नागरिकों का े मूल अधिकारा ें की गारंटी देता ह ैं। इसके साथ ही मूल कर्तव्या ें द्वारा नागरिकों का े अपने कर्तव्यों के प ्रति सजग किया गया है ं। इससे देश की एकता, अखण्डता और र्भाइ चारे कि भावना का विकास होता ह ै तथा अपने राष्ट्र के प ्रति सेवा की भावना विकसित होती ह ै। तथा भारत की संस्कृति एवं व ैज्ञानिक दृष्टिकोण का े समझने के साथ सार्व जनिक सम...

उपभोक्ता अधिकार एवं स ंरक्षण Consumer Rights and Protection

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  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 16/11/2020, Date of Acceptance: 27/11/2020, Date of Publication: 28/11/2020   मन्ज ू लाडला सह-आचार्य राजनीति विज्ञान विभाग, श्री कल्याण राजकीय कन्या महाविद्यालय, सीकर, राजस्थान, भारत Abstract   उपभोक्ता स़ंरक्षण वर्तमान सन्दर्भ मे बहुत ही महत्वपूर्ण ह ै क्या ेंकि अधिकांश उपभोक्ता अपने अधिकारांे के प्रति अनभिज्ञ ह ै असंगठित ह ै एवम् विक्र ेताआ ें द्वारा उनका पोषण किया जाता ह ै। भारत में उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार द्वारा विधिक प्रावधाना ंे के तहत विभिन्न प्रकार के कानूना ें का निर्माण किया गया है। इनमे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 (संशा ेधित) महत्वपूर्ण ह ै। इसके अन्तर्गत जिला स्तर ,राज्य स्तर एवम् राष्ट्रीय स्तर पर तीन स्तरीय प्रवर्तन व्यवस्था का प्रावधान है। इन्ह े जिला स्तर पर जिला फा ेरम, राज्य स्तर पर राज्य आयोग तथा राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय आया ेग कहा जाता है। उपभोक्ता अदालत भी इस दिशा मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही ह ैं। ये अदालत े ं उ...

मेरी नजर मे ं विन¨बा अ©र गांधीजी का ब्रम्हचर्य एक अध्ययन According To Me, A Study of Vinba and Gandhiji

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  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 26/11/2020, Date of Publication: 27/11/2020   क े.एच.वासनिक  सह प्राध्यापक,  राजनीति विज्ञान विभाग,  शासकीय विदर्भ ज्ञान विज्ञान  संस्था, अमरावती,  महाराष्ट,ª भारत Abstract   भारत देश में समाज उत्थान में निरन्तर महनीय ल¨ग¨ ं का य¨गदान रहा है। व ैदिक काल में इनका समाज व्यवस्था क¨ सुनिय¨जीत तथा सुव्यस्थित बनाने में महŸवपूर्ण य¨गदान रहा ह ै। मध्यमाल के द©रान मनु ने उनके अनुसार समाज निर्माण की भूमिका क¨ अदा किया। किन्तू मनु आज बह¨त विवादास्पद ह ै। कालांतर बाद भारत मे ए ेसे संत महात्मा ह¨ गये जिन्ह¨ने सुसंस्कृत समाज तथा सुव्यवस्थित शांत समाज निर्मा ण में अपना तमाम जीवन बिताया। ऊन महान महनीय व्यक्ती की विचारधारा का असर आज भी हम समाज में देखत े ह ै। आधुनिक भारत निर्माण में कई सामाजिक संत¨ का य¨गदान रहा है। जिनम ें विन¨बा अ©र गा ंधी अग्रक्रम रखते ह ै। इन महनीय व्यक्तिअ¨ं की समाज के प ्रति ब ्रम्...

भारत की आन्तरिक सुरक्षा: गम्भीर चुनौती India's Internal Security: A Serious Challenge

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  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 25/11/2020, Date of Publication: 26/11/2020     रूदल कुमार सिंह असिस्ट ेंट प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, किसान स्नातकोŸार महाविद्यालय, रकसा, रतसर, बलिया, उत्तर प्रदे‛ा, भारत Abstract आज दे‛ा के लिए बह ुत महत्वप ूर्ण हो गया ह ै आन्तरिक सुरक्षा का मुद्दा। अब आन्तरिक सुरक्षा एक नए प ्रकार की जंग लड़ने जैसा ह ै। आन्तरिक सुरक्षा के साथ आध ुनिक विज्ञान आ ैर तकनीक जुड़ र्गइ  ह ै। इसक े चलत े आन्तरिक सुरक्षा आ ैर ज्यादा संव ेदन‛ाील, जटिल आ ैर कठिन हो र्गइ  ह ै। अब परमाण ु आतंकवाद की बात भी ॉाुरू हो गयी ह ै। हो सकता ह ै, किसी आतंकवादी संगठन के हाथ परमाण ु हथियार लग जाए ं ता े व े आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती बन सकते ह ैं। पारम्परिक युद्ध की बजाय अब छदम् युद्ध के रूप में आंतरिक सुरक्षा हमारे लिए बड़ी चुनौती बन गयी ह ै। धीरे-धीरे यह आंतरिक सुरक्षा के सीमित दायरे से आगे की बात हा ेती जा रही ह ै। अब जबकि आंतरिक सुर...