Posts

Showing posts with the label संगीत विभाग

प्राचीन बंदि‛ाीय स्वरूप के रूप में आक्षिप्तिका का वि‛लेषण Analysis of Akshiptika As An Ancient Compositional Form

Image
  Innovation : The Research Concept  ISSN No. 2456–5474   RNI No. UPBIL/2016/68367  Vol.-6* Issue-2* March- 2021 ‛िाप्रा पन्त विभागाध्यक्षा, संगीत विभाग, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामनगर, न ैनीताल, उत्तराखण्ड, भारत                                                    Abstract   हिन्दुस्तानी संगीत-कला पारम्परिक बन्दि‛ाों की सहायता से अब तक जीवित रह पाई ह ै। अच्छी आ ैर राग के स्वरूप को ठीक से प ्रदर्‛िात करने वाली बन्दि‛ा को बनाने के लिए भी पारम्परिक बन्दि‛ाों की आव‛यकता होती ह ै। संगीत की पारम्परिक कला हमें गेय पदा े ंके रूप में हस्तान्तरित ह ुई ह ै।अर्थात् सांगीतिक बन्दि‛ों अपने प ्रारम्भिक रूपा ें ऋग्व ेद, सामव ेद (देव-स्तुति ह ेतु निर्मित स्त्रा ेत, भक्ति) से विकसित होते ह ुए प ्रबन्ध, वस्तु ,रूपक के...

भारतीय स ंगीत का आध्यात्मिक पक्ष The spiritual Side of Indian Music

Image
  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-9* December-2020)   Paper Submission: 12/12/2020, Date of Acceptance: 24/12/2020, Date of Publication: 25/12/2020   मनीष ड ंगवाल प्रभारी एवं सहायक प्राध्यापक, संगीत विभाग, रा.स्ना. महाविद्यालय, गोपेश्वर, उत्तराखण्ड, भारत Abstract   भारतीय संगीत का संचालन समाधि की आ ेर हा ेता ह ै। पाश्चात्य संगीत सुनने से मन उत्त ेजित होता ह ै परन्तु भारतीय संगीत हर्में इ श्वर से एकाकारिता कराता ह ैं। भारतीय संगीत, शास्त्र भी है व कला भी। भारतीय संगीत, शास्त्र का आधार ह ै। योगशास्त्र जो कि समस्त भारतीय शास्त्र कलाओं का े “मूल आधार” मान्य ह ै। अतः या ेगशास्त्र के अनुभवों की ओर ले जाना भारतीय संगीत का एक मात्र लक्ष्य ह ै। संगीत व या ेग की परस्पर घनिष्टता सदा से ही रही है ं। चाहें वह किसी भी रूप में हो एक के बिना दूसरे की कल्पना ही नही की जा सकती। दा ेना ें का लक्ष्य व उद्देश्य आत्मसाक्षात्कार द्वारा आत्मा-परमात्मा के मिलन की “परमानन्द-अवस्था” का े प्राप्त करना रहा ह ै।  Indian music operates tow...

संगीत रत्नाकर में दर्शन Darshan in Sangeet Ratnakar

Image
  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-9* December-2020)   Paper Submission: 10/12/2020, Date of Acceptance: 23/12/2020, Date of Publication: 24/12/2020   मह ेश चन्द्र पाण्ड े सहायक प्राध्यापक, संगीत विभाग, एम० बी० राजकीय स्नातक¨त्तर महाविद्यालय हल्द्वानी उत्तराखण्ड, भारत Abstract   संगीत का आधारभूत तत्व नाद ह ै। जा े सम्पूर्ण जगत में व्याप्त ह ै व सृष्टि का कारण है इसीलिए नाद का े नाद ब ्रह्म कह कर उपास्य तत्व व उपासना का साधन स्वीकार किया गया ह ै। इस नाद के संब ंध, मे नकारं प ्राणमामानं दकारमनलं बिटुः। जातः प ्राणग्रिसंया ेगातेन तादा ेभिधीयेत।।  अर्थात ’नकार’ प्राण-वाचक तथा द्ंकार अग्निवाहक ह ै। अतः जो वायु और अग्नि के या ेग से उत्पन्न होता ह ै, उसी का े नाद कहते ह ैं। ना का संब ंध ध्वनि से याने आवाज से ह ै। स्वर का े ब ्रह्म की उपासना क े समान साध्य मानकर स्वरा ें के ऋषि देवता आदि का भी निरूपण किया गया। स्वर के आधरभूत तत्व नाद का े उपास्य तत्व व उपसना का साधन स्वीकार करके वेद, तन्त्रशास्त्र, उपनिषदों आदि में ना...

ज ैज़्ा संगीत श ैली का वर्तमान स्वरूप Present Form of Jazz Music Style

Image
  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-10* January-2021) Paper Submission: 15/01/2020, Date of Acceptance: 26/01/2020, Date of Publication: 27/01/2021     शिप्रा पन्त विभागाध्यक्षा, सहायक प्राध्यापक, संगीत विभाग, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामनगर, उत्तराखण्ड, भारत Abstract   जैज़्ा संगीत का प ्रया ेग भारतीय फिल्म जगत काफी पहले से होना प ्रारम्भ हो गया था। वर्तमान में भारत में प ्रचलित संगीत में कई पाश्चात्य श ैलियों का मिश्रण किया जा रहा ह ै जिसमें जैज़ संगीत लोकपि ्रय ह ै। 50 से 60 तक के दशक में जैज़्ा का रूप काफी हद तक पारम्परिक था लेकिन अब इसमें बह ुत परिवर्तन आ चुका ह ै। वर्तमान में जा े जैज़ संगीत प ्रचलन मे ं ह ै वह अलग मूड पर आधारित जैज़्ा संगीत ह ै। यह विविध भावों एवम् नृत्य का े सहजता से अभिव्यक्त करने में समर्थ  है। बीसवीं सदी में जैज़्ा और भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ सम्मिश्रण से एक नये रूप प्दव.श्रं्र्र श ैली का उद्भव ह ुआ। स्वाधीनता संग्राम के समय लगभग सभी पंचसितारा होटलों एवम् सभी र्नाइ ट क्लबों म...

संगीत के परिपेक्ष में साहित्य (एक अवला ेकन) Literature In The Context of Music (An Overview)

Image
  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-10* January-2021)   Paper Submission: 15/01/2020, Date of Acceptance: 26/01/2020, Date of Publication: 27/01/2021 अनुपमा सक्सेना अध्यक्षा, सह प्राध्यापक, संगीत विभाग, डी0 ए0 वी0 (पी0जी0) काॅलेज, द ेहरादून, उŸाराखण्ड, भारत Abstract           संगीत एक प ्राकृतिक एवं उत्तम कला ह ै। सभी कलाओं में संगीत का े सबसे प ्राचीन एवं सर्वा ेपरि माना गया ह ै। भाषा से प ूर्व भी संगीत प ्रकृति के कण-2 में व्याप्त था। संगीत शब्द के अन्तर्गत गायन, वादन तथा नृत्य इन तीना ें कलाआ ें का समावेश होता है। इन तीनों कलाओं में गायन का े प ्रथम स्थान पर रखा गया ह ै। संगीत कला का े स्वरा ें का मिश्रण भी कहा जाता ह ै। जब इन स्वरों के साथ साहित्य जोड ़ दिया जाता ह ै ता े सोने प े सुहागा जैसा प ्रतीत होता ह ै। संगीत मानव मन का े आकर्षि त करने की ही नहीं, वरन् स्वर लहरी के माध्यम से अपने भावों को श्रोता के हृदय में उतारना ही परमात्मा में लीन करने का सर्वोत्कृष्ट माध्यम ह ै। वैदिक काल म...