अतिविलम्बित लय के जनक: उस्ताद अमीर खाँ (Father of Very Slow Tempo: Ustad Amir Khan)
Srinkhala Ek Sodhparak
Vaicharik Patrika (P: ISSN NO.: 2321-290X RNI :
UPBIL/2013/55327 VOL-8* ISSUE-4* December- 2020 E: ISSN NO.: 2349-980X)
Paper Submission: 15/12/2020, Date of Acceptance: 26/12/2020, Date of Publication: 27/12/2020
Abstract
शोधार्थी,
संगीत विभाग,
राजकीय कला कन्या
महाविद्यालय,
कोटा विश्वविद्यालय,
कोटा, राजस्थान, भारत
रौशन भारती
सह आचार्य,
संगीत विभाग,
राजकीय कला कन्या
महाविद्यालय,
कोटा विश्वविद्यालय,
कोटा, राजस्थान, भारत
भारतीय संगीत में ख्याल गायकी का विकास हुआ ता े ख्याल मध्यलय
के रूप में विकसित ह ुआ। प्रारम्भ में ख्याल गायन तानकारी व गति पर
आधारित था। जो मुख्यतः ग्वालियर आ ैर आगरा घराने की देन ह ै। परन्तु
जैसे-जैसे ख्याल गायकी श्रा ेताओं मे ं अपनी नई पहचान बनाने लगी व ैसे-व ैसे
नए-नए घरानों का भी जन्म हुआ। प्रारम्भ में सभी घराना ें में ख्याल की लय
मध्यलय या द्रुत ही थी। परन्तु किराना घराने में ख्याल की लय अब्दुल वहीद
खाँ के समय मध्यलय से विलम्बित लय पर आ गई। उस्ताद अब्दुल वहीद खाँ
के शिष्य उस्ताद अमीर खाँ ने इसी लय को अतिविलम्बित कर दिया आ ैर
ख्याल गायकी को नए रूप में विकसित व स्थापित किया। उस्ताद अब्दुल
वहीद खाँ से सीखने के पहले उस्ताद अमीर खाँ के ख्याल की भी मध्य लय
ही थी। उस्ताद अमीर खाँ द्वारा स्थापित अतिविलम्बित लय को तात्कालीक व
आने वाले सभी गायकों न े अपनाया आ ैर इसी लय का े आधार मानकर ख्याल
गा रहे ह ै ं। उस्ताद अमीर खाँ द्वारा स्थापित अतिविलम्बित लय ने ख्याल
गायकी को नए आयाम तक पह ुँचाया और इस अतिविलम्बित लय से ख्याल
गायकी को नई पहचान मिली तथा ख्याल गायन की प ्रकृति ध्र ुपद गायन जैसी
गंभीर हो र्गइ ।
for full paper please visit below link :
Comments
Post a Comment