जयशंकर प्रसाद कृत तितली: अन्तर्वस्तु, यथार्थवादी चेतना और समकालीन संदर्भ (Jaishankar Prasad Krit Titli: Contents, Realistic Consciousness and Contemporary Context)
Srinkhala Ek Sodhparak
Vaicharik Patrika (P: ISSN NO.: 2321-290X RNI : UPBIL/2013/55327 VOL-8* ISSUE-3*
November- 2020 E: ISSN NO.: 2349-980X)
Paper Submission: 16/11/2020, Date of Acceptance: 27/11/2020, Date of Publication: 28/11/2020
Abstract
सह आचार्य
हिन्दी विभाग,
राजकीय महाविद्यालय,
कोटा, राजस्थान, भारत
जयश ंकर प्रसाद ने अपने उपन्यासा ें में कल्पना का नहीं यथार्थ दृष्टि
का परिचय दिया है। इस दृष्टि से उनके उपन्यास न केवल महत्वपूर्ण ह ैं अपितु
युगीन संदर्भों का े अपने कलेवर में समेटे ह ुए ह ैं। ’उनके उपन्यासा ें में ग्राम,
नगर, प ्रकृति आ ैर जीवन का मार्मिक चित्रण ह ुआ है जा े भाव ुकता और कवितत्व
से प ूर्ण होते ह ुए भी प्रा ैढ़ लोगा ें की श ैल्पिक जिज्ञाषा का समाधान करता ह ै।’1
तितली उपन्यास में तत्कालीन ग्रामीण जनजीवन की झा ंकी, संघर्ष आ ैर सुधार
चेतना का आदर्शा ेंन्मुखी अंकन ह ुआ ह ै। वास्तव में प्रसाद का द्वितीय उपन्यास
‘तितली’ ग्रामीण परिवेश से सम्बद्ध ह ै। कंकाल के नगरा ें से तितली में ग्रामों की
ओर आगमन ह ै; जहां एक ओर यह उपन्यास ग्राम की सादगी, कर्मठता आ ैर
मानवता की उज्ज्वल मना ेभूमि स्पष्ट करता ह ै, वहीं शोषित दीन-हीन किसाना ें
आ ैर विकृत ग्रामीण परिवेश का सजीव चित्र अ ंकित करता है। प ्रसाद जी के
कंकाल का आधार तो यथार्थ ह ै ही तितली भी ग्रामीण यथार्थ का जीवंत
निदर्श न कराता ह ै। उपन्यास की अंतर्व स्तु प ्रेमचन्द के आ ैपन्यासिक कलेवर के
करीब ही है। उपन्यास में आदर्शा ेन्मुखी यथार्थ , सामाजिक चेतना, स्त्री-चेतना,
कृषक जीवन की पक्षधरता, सहज अभिव्यक्ति शिल्प तथा समस्या समाधान की
प ्रवृत्ति महत्वप ूर्ण ह ै।
Jaishankar Prasad has introduced real vision, not imagination, in his novels. From this point of view, his novels are not only important but also contain epoch references in his collection. 'His novels have a poignant portrayal of village, city, nature and life which, while full of sentimentality and poetry, addresses the lyrical ambition of older people. Has marked the ideal In fact, Prasad's second novel Titli is related to the rural environment. From the skeletal cities the butterfly has its arrival towards the villages; While this novel reveals the simplicity, diligence and bright mood of humanity in the village, it portrays a living picture of exploited oppressed farmers and distorted rural surroundings. The basis of the skeleton of Prasad ji is not only the reality, but the butterfly also gives a live demonstration of rural reality. The content of the novel is close to Premchand's novel. In the novel, ideal-oriented reality, social consciousness, female consciousness, advocacy of agricultural life, spontaneous expression craft and problem solving are important.
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