हनुमानगढ़ जिले मे गैर परम्परागत कृषि: एक भौगोलिक अध्ययन (Non Traditional Agriculture in Hanumangarh District: A Geographical Study)

Innovation The Research Concept:(ISSN: 2456–5474 RNI No.UPBIL/2016/68367 Vol.-5* Issue-12* January- 2021)
Paper Submission: 15/01/2021, Date of Acceptance: 27/01/2021, Date of Publication: 28/01/2021


Abstract


 जगदीश चन्द्र कुम्हार

शोधार्थी,

भूगोल विभाग,

महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय,

बीकानेर, राजस्थान, भारत


आर.सी. श्रीवास्तव

शोध निर्देशक,

भूगोल विभाग,

डाॅ. बी.आर. अम्बेडकर राजकीय महाविद्यालय

श्रीगंगानगर, राजस्थान, भारत


देश में उद्यानिकी प ्राचीन समय से हा ेती आई ह ै । उत्तम स्वास्थ्य क े
लिए हर रोज फलों व सब्जिया ें का यथोचित मात्रा में उपया ेग आवश्यक है।
राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में फल-फ ूल, सब्जी एव ं मसाले-आ ैषधियों के
लिए अनुकूल दशाएं ह ै। जिले में घग्घर (नाली) नदी की उपजाऊ मृदा, मीठा
जल, ट्यूबवैल सुविधा, परिवहन, पर्या प्त जनसंख्या, अनुकूल भा ैगा ेलिक दशाएं
इत्यादि से गैर परम्परागत खेती (उद्यानिकी) की प्रचुर सम्भावनाएँ ह ैं । इस क्षेत्र
में किन्नू, अमरूद, ब ेर, खजूर, ब ेलपत्र, अनार, आंवला, नी ंबू, माल्टा, ग्वारपाठा,
अश्वगंधा, तुलसी, गिलोय, मेहन्दी, धनियां, सा ैंफ, मैथी, लहसुन, गुलाब, गेंदा
एवं सब्जियां आदि हा ेने की सम्भावनाएँ हैं। परम्परागत खेती घाटे का सा ैदा
साबित हो रही ह ै; अतः ला ेगा ें का ध्यान गैर परम्परागत खेती की आ ेर बढ़ा है
। उद्यानिकी से प ्रति इकाई अधिक उत्पादन, नियमित रा ेजगार, अधिक आय,
सरकारी अनुदान, उद्यान विभाग का मार्गदर्शन इत्यादि कारक कृषकों को
उद्यानिकी की ओर आकर्षित करते ह ै ं ।
गैर परम्परागत कृषि के साथ मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, मध ुमक्खी
पालन, पशु पालन, डेयरी, नर्सरी, बीज निर्मा ण, प ्रसंस्करण इत्यादि सहक्रियाए ं
कर आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक विकास कर सकते ह ै ं । प ्रस्तुत शा ेध पत्र में
हनुमानगढ़ जिले में गैर परम्परागत कृषि विकास का भौगोलिक अध्ययन किया
गया ह ै । 
                  Horticulture has been occurring in the country since ancient times. Appropriate use of fruits and vegetables everyday is essential for good health. Hanumangarh district of Rajasthan has favorable conditions for fruits, flowers, vegetables and spices. The district has abundant possibilities of non-traditional farming (horticulture) from the fertile soil, fresh water, tubewell facility, transport, adequate population, favorable geographical conditions, etc. of the Ghaggar (drain) river. There are chances of having Kinnow, Guava, Plum, Date, Bellpat, Pomegranate, Amla, Lemon, Malta, Guarpatha, Ashwagandha, Tulsi, Giloy, Mehandi, Coriander, Fennel, Methi, Garlic, Rose, Marigold and Vegetables etc. in this region. Traditional farming is proving to be a loss deal; Hence, the attention of people has shifted to non-traditional farming. Due to more production per unit from horticulture, regular employment, higher income, government grant, guidance of horticulture department etc. factors attract farmers towards horticulture. One can achieve economic, social, political development by making synergies with non-traditional agriculture such as fisheries, poultry, bee keeping, animal husbandry, dairy, nursery, seed making, processing etc. In the research paper presented, geographical study of non-traditional agricultural development has been done in Hanumangarh district.

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http://www.socialresearchfoundation.com/upoadreserchpapers/6/405/2102170521361st%20jagdish%20chandra%20kumhar%2013450.pdf


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