ढोला मारू रा दोहा का कथानक - वैशिष्टकय (Story of Dhola Maru Ra Doha - Characteristics)

Innovation The Research Concept:(ISSN: 2456–5474 RNI No.UPBIL/2016/68367 Vol.-5* Issue-12* January- 2021)
Paper Submission: 15/01/2021, Date of Acceptance: 27/01/2021, Date of Publication: 28/01/2021

Abstract

 सीताराम मीना

सह आचार्य,

हिन्दी विभाग,

स्व राजेश पायलट राजकीय

स्नातकोत्तर महाविद्यालय,

बॉदीकुई, राजस्थान, भारत

यह ‘’ढोला मारू रा दोहा’’ राजस्थानी साहित्य का एक श्रेष्ठ रत्न है। इसकी

मनोमुग्धकारिणी कहानी का संबंध आमेर के आख्यानों तथा वीर कछवाहा राजवंश से लोक

म ें प्रकट हुआ है। इसका प्रचार यहां तक है कि बाजार म ें पोंथी बेचने वालों के पास भी

ढोला मारू की बात अथवा मारू का ख्याल नाम की छोटी-छोटी पुस्तकें हम देख पाते हैं।

यह मोहिनी कथा कितने ही लालों को पलने म ें दुलारने और उनके कमल नयनों म ें

सर्वइंद्रिय-दुख-हरिणी सुख-निंदिया को बुलाने म ें जादू का सा कार्य करती रही है।

डॉ हरिकांत श्रीवास्तव के शब्दों म ें, ‘’ढोला मारू रा दोहा’’ एक ऐसा ही काव्य

है जिसमें नायिका के पिता ने बचपन म ें साल्ह कुमार से उसका विवाह कर दिया था।

यौ ंवन आने पर नायिका ने अपने पति के वियोग का अनुभव किया और अपने प्रयास द्वारा

उस तक अपना संदेश भी पहुंचाया । ‘ढोला मारु’ में विप्रलभ श्रृंगार प्रधान, है ठीक उसी

प्रकार बीसलदेव रासा े में भी उसकी प्राधानता मिलती है अ ंतर केवल इतना है कि एक म ें

बाल्यकाल में विवाह हो जाने के उपरांत ही पति-पत्नी बिछुड़ जाते है ं और दूसर े म ें

यौवनावस्था में कुछ दिन साथ रहकर दुर्भाग्यवश एक छा ेटी सी बात पर विलग हो जाते है ं

अन्यथा दोनों की कथा म ें विशेष अ ंतर नहीं।‘’ 1

इस कहानी म ें ढोला मारवणी का प्रेम-वृतान्तं आधिकारिक कथा है। यह काव्य

पात्र प्रधान है घटना प्रधान नहीं। ढोला नायक मारवणी इसकी नायिका तथा मालवणी उप

नायिका है। कथा का कार्यरूप परिणाम है ढोला द्वारा मारवणी का विरह दुःख से उद्धार

कर उसको अपने घर लाना। इस परिणाम अथवा लक्ष्य की ओर सभी प्रासंगिक वृतान्तों

का सहायक रूप में प्रवाह हुआ है । प्रासंगिक कथाएं म ुख्यतः ये है ं रू-

1. घोड़ों के सा ैदागर का पूंगल में आकर समाचार देना।

2. मालवणी की प्रार्थना पर ऊंट का लंगड़ा होना।

3. मालवणी द्वारा प्रेरित सूए का ढोला को लौटा लाने के लिए जाना।

4. ऊमर सूमरा के दुष्ट चारण का षड्यंत्र-झूठी सूचना देना ।

5.ऊमर सूमरा का ढोला को धोखा देकर मारवणी के हरण का दुष्ट प्रयत्न।

6. योगी-योगिनी का आना और सहायता देना

इन कथानक बिंदुओं का विशेष आधार क्या है यही देखना हम ें अभीष्ट है

             This "Dhola Maru Ra Doha" is an excellent gem of Rajasthani literature. The relation of its captivating story is revealed in the folklore of the Amer and the Veer Kachwaha dynasty. Its propaganda is even that even those who sell ponthi in the market can see small books called Dhola Maru Ki Baat or Maru Ka Khyal. This Mohini tale has been a magic work in reverberating the Lalas and invoking Sarvandriya-Dukh-Harini Sukh-Nindiya in their lotus choices. In the words of Dr. Harikant Srivastava, "Dhola Maru Ra Doha" is one such poem in which the heroine's father married Salah Kumar in her childhood. Upon coming to puberty, the heroine experienced the disconnection of her husband and through her efforts also conveyed her message to him. In 'Dhola Maru', Vipralabh Shringar Pradhan is the same, in the same way his prominence is found in Beasladeva Raso, the only difference is that in one, the husband and wife get separated after getting married in childhood and in the second few days of puberty. Unfortunately, they get separated on a small matter otherwise there is no special difference between the two. The love story of Dhola Marwani is the official story in this story. This poetic character is predominant and not eventful. Dhola Nayak Marwani is its heroine and Malvani is the deputy heroine. The working result of the story is that Dhola rescues Marvani from sorrow and brings her home. All relevant accounts have flowed in a supportive way towards this result or goal. Relevant stories are mainly Rs.
1. To give news of horse dealers in Pongal
2. Camel's limping at the prayer of Malavani.
3. To bring back the dhow to Dhola inspired by Malavani.
4 Conspiracy to give false information to Omar Sumra.
5. Umar Sumra's wicked attempt to deceive Marvani by deceiving Dhola.
6 Yogi-Yogini to come and help
What we want to see is the special basis of these plot points.

for full paper please visit below link :

http://www.socialresearchfoundation.com/upoadreserchpapers/6/405/2102170523121st%20sita%20ram%20meena%2013550.pdf

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