भारतीय शिक्षा मे ं स्वामी दयानन्द सरस्वती का योगदान Swami Dayanand Saraswati's Contribution to Indian Education

 Anthology The Research:(ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)

 Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 26/11/2020, Date of Publication: 27/11/2020

 








प्रतिभा यादव
शोधार्थिनी
इतिहास विभाग,
मड़ियाहूँ पी0जी0कालेज
मड़ियाहूँ, जौनपुर,उ0प्र0,भारत

Abstract

 स्वामी दयानंद सरस्वती उन महान संतो म ें से एक ह ै जिन्होंने देश म ें
प ्रचलित अंधविश्वास, रूढ़िवादिता, विभिन्न प ्रकार के आडम्बरा े व सभी
अमानवीय आचरणा ें का विरोध किया। हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप मंे मान्यता
देने तथा हिन्दू धर्म के उत्थान एवं इसक े स्वाभिमान को जगाने ह ेतु स्वामी जी
के महत्वपूर्ण योगदान के लिये भारतीय जनमानस सदैव उनका ऋणी रहेगा।
स्वामी दयानन्द सरस्वती के शिक्षा सम्बन्धी विचार तथा उनके द्वारा किये गय े
सामाजिक उन्नति पर अध्ययन करना अति आवश्यक है। जिसका विवरण
विभिन्न रचनात्मक प्रयोगा ंे का े समग्रता से शामिल करते ह ुये उनपर विचार
किया गया है।

Swami Dayanand Saraswati is one of the great saints who opposed the superstitions, orthodoxies, various types of fanatics and all inhuman practices prevalent in the country. Indian public will always be indebted to Swamiji for his significant contribution in recognizing Hindi as the national language and for uplifting Hindu religion and awakening its self-respect. It is very important to study Swami Dayanand Saraswati's thoughts related to education and social progress made by him. The details of which have been considered by incorporating various creative experiments in totality.

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