प्राचीन बंदि‛ाीय स्वरूप के रूप में आक्षिप्तिका का वि‛लेषण Analysis of Akshiptika As An Ancient Compositional Form
Innovation : The Research Concept ISSN No. 2456–5474 RNI No. UPBIL/2016/68367 Vol.-6* Issue-2* March- 2021
विभागाध्यक्षा,
संगीत विभाग,
राजकीय स्नातकोत्तर
महाविद्यालय, रामनगर,
न ैनीताल, उत्तराखण्ड, भारत
Abstract
जीवित रह पाई ह ै। अच्छी आ ैर राग के स्वरूप को ठीक से प ्रदर्‛िात करने
वाली बन्दि‛ा को बनाने के लिए भी पारम्परिक बन्दि‛ाों की आव‛यकता होती
ह ै। संगीत की पारम्परिक कला हमें गेय पदा े ंके रूप में हस्तान्तरित ह ुई
ह ै।अर्थात् सांगीतिक बन्दि‛ों अपने प ्रारम्भिक रूपा ें ऋग्व ेद, सामव ेद (देव-स्तुति
ह ेतु निर्मित स्त्रा ेत, भक्ति) से विकसित होते ह ुए प ्रबन्ध, वस्तु ,रूपक के रूप में
सामर्ने आइ जोकि, वर्तमान समय में धु ्रपद, धमार, ख्याल, टप्पा, ठुमरी आदि
अनेक बन्दि‛ाीय रूपों के द्वारा हिन्दुस्तानी रागदारी संगीत में प ्रचलित हुई।
आक्षिप्तिका एक महत्वपूर्ण गीत प ्रकार ह ै जिसका उल्लेख भारतीय प ्राचीन ग्रन्थों
में प ्राप्त होता ह ै। इसका स्वरूप वर्तमान भारतीय संगीत में प्रचलित ब ंदि‛ाीय
रूपों के समान है। यह भी स्वर-पद-ताल में निबद्ध संगीत रचना मानी गई
ह ै।
Hindustani Music- With the help of traditional “Bandishes”, This art has been able to remain alive even today. To make bandishes which can nicely display the form of “Raga” or are nice , the use of traditional bandishes is necessary. The traditional art of Music has been transferred to us in the form of lyrical pad or texts. Musical bandishes evolved and come forward from its initial forms. „Rigveda‟, „Samveda‟ (The source for making „Deva stuti‟, devotion) to its latest forms Prabandh, Vastu and Rupak, which became popular in Hindustani Ragdari Music in form of various bandish forms such as Dhrupad, Khayal, Dhamar, Tappa,Thumari etc. „Akshiptika „ is one of the most important song type. It is also mentioned in India‟s ancient texts. It is equal to the popular bandish forms of present day Indian music. It is also believed as Nibadha creation in swar-pad-taal
http://www.socialresearchfoundation.com/upoadreserchpapers/6/416/2107070419491st%20shipra%20pant%2013957.pdf
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