जाति आ ैर भारतीय राजनीति - एक अध्ययन Caste and Indian Politics - A Study
Innovation : The Research Concept ISSN No. 2456–5474 RNI No. .UPBIL/2016/68367 VOL- VI * ISSUE- IV * May - 2021
सहायक प्राध्यापक,
राजनीति विज्ञान विभाग,
सन्त गणिनाथ राजकीय
स्नातकोŸार महाविद्यालय
मुहम्मदाबाद गोहना -मऊ
उत्तर प्रदेश, भारत
काल से ही रही ह ै किन्तु स्वतंत्रता पश्चात चुनावी राजनीति में यह अधिक
मुखर हुई। जाति को भारतीय राजनीति के प ्रमुख निर्धा रक तत्वों में गिना जाता
ह ै। राजनीति में जातिवाद को एक नकारात्मक पहलू के रूप में देखा जाता है
किन्तु कुछ विद्वान राजनीति में जाति को सामाजिक न्याय की प्राप्ति में
सहायक आ ैर वंचित जातियों के लिए शासन आ ैर राजनीति में उचित स्थान
दिलाने वाला मानते ह ैं। किन्तु अन्य संकीर्ण ताओं की तरह जातिवाद भी
लोकतंत्र के लिए खतरनाक ह ै। लगभग सभी राजनीतिक पार्टियाँ चुनाव में
जाति का े बढ़ावा देने की प्रवृŸिा की आलोचना करते ह ै ं किन्तु टिकट देते वक्त
व े जाति को घ्यान मे ं रखकर प ्रत्याशियों का चयन करते ह ै ं। चुनावा ें में भाग
लेने आ ैर उसे प ्रभावित करने क े अलावा जाति का प ्रयोग राजनीति में सही आ ैर
गलत लाभा ें के लिए भी किया जाता ह ै। जातिवाद का राजनीति में प ्रव ेश
सामाजिक व ैमनस्यता को बढ़ा रहा ह ै और यह आधुनिक भारत की
निर्मा ण-प ्रक्रिया का े नकारात्मक रूप में प ्रभावित कर रहा है।
https://www.socialresearchfoundation.com/upoadreserchpapers/6/434/2106191118171st%20manoj%20kumar%20verma%2014220.pdf
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