सात्र्र की सत्तामीमांसा मे ं चेतना की अवधारणा The Concept of Consciousness in Sartre's Ontology
Innovation : The
Research Concept ISSN No. 2456–5474 RNI No. UPBIL/2016/68367 Vol.-6* Issue-2* March- 2021
दिव्या शुक्ला
शोध छात्रा,
दर्शनशास्त्र विभाग,
इलाहाबाद विश्वविद्यालय,
प्रयागराज, उ॰प्र॰, भारत
शोध छात्रा,
दर्शनशास्त्र विभाग,
इलाहाबाद विश्वविद्यालय,
प्रयागराज, उ॰प्र॰, भारत
Abstract
वस्तुतः अस्तित्ववाद एक वाद ‘प्कमवसवहल’ नही ं अपितु एक ‘दृष्टि’ ‘च्वपदज व
िटपमू’ ह ै। यह जीवन से जुड़ा दर्श न ह ै। दर्श न में रूप में अस्तिवत्वाद का
आरम्भ यद्यपि जर्मन दार्शनिक ह ुसर्ल, हाइड ेगर तथा कीर्कगार्ड के दर्श न को
माना जाता ह ै तथापि अस्तित्व वाद का समग्र रूप सात्र्र के दर्श न में ही पाया
जाता ह ै।
Satra is counted among the leading existential philosophers. In fact existentialism is not a Ideology but a 'vision'. This is a philosophy related to life. The introduction of realism into philosophy, although the philosophies of the German philosophers Hüsserl, Heidegger, and Kierkegaard are considered, but the overall form of existentialism is found only in the philosophy of Satra.
http://www.socialresearchfoundation.com/upoadreserchpapers/6/416/2107070415121st%20divya%20shukla%2013993.pdf
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