वैदिक साहित्य में महिला विकास के विभिन्न आयाम Various Dimensions of Women Development in Vedic Literature
Innovation : The Research Concept ISSN No. 2456–5474 RNI No. UPBIL/2016/68367 Vol.-6* Issue-3* April- 2021
Paper Submission: 05/04/2021, Date of Acceptance: 14/04/2021, Date of Publication: 25/04/2021
शोधार्थी,
राजनीति विज्ञान विभाग,
महाराजा सूरजमल बृज
विश्वविद्यालय,
भरतपुर राजस्थान, भारत
Abstract
ह ै । एक महिला क े विकास क े बिना समाज का विकास संभव नही ं है।
भारतीय महिला विकास को समझने क े लिए महिलाओं की वैदिककालीन स्थिति
का े समझना आवश्यक ह ै। व ैदिककाल महिला विकास का स्वर्ण काल माना
जाता ह ै। इस काल में महिला स्वतंत्रताप ूर्वक अपना जीवनयापन करती थी।
शिक्षा के क्षेत्र म ें इस समय महिलाओं का विकास चरम पर था। महिलाए ं
राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं श ैक्षणिक क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भ ूमिका
निभाती थी। वैदिक साहित्य की रचना में भी महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका
निभाई। वेदा ें की रचना में सहया ेग करने वाली प्रमुख महिलाओं में अपाला,
विश्ववरा, शशि, लोपा मुद्रा आदि प्रमुख थी । इसके साथ ही महिला एव ं
राजनीतिक जीवन में राजाओं की सलाहकार, युद्ध में सहयोगी एव ं महान योद्धा
होती थी। सामाजिक जीवन में भी महिलाआ ें का स्थान सर्वोपरि था । कोई भी
धार्मिक कार्य महिलाओं क े बिना संभव नहीं था। महिला का े शक्ति रूप में प ूजा
जाता था । बाल-विवाह, सती-प्रथा, बलात्कार, कन्याभ्र ूण हत्या, शोषण जैसी
प्रथाआ ें का अभाव था। इस प्रकार व ैदिककाल महिला विकास का चरम काल
था । किस काल से प्र ेरणा लेकर हम आधुनिक काल में महिला विकास को
एक नवीन दिशा दे सकते ह ैं।
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