वर्तमान हि ंदी महिला कथा लेखन और दांपत्य जीवन Current Hindi Female Fiction Writing and Married Life
Anthology : The Research ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-6* Issue-4* July- 2021
Paper Submission: 05/07/2021, Date of Acceptance: 15/07/2021, Date of Publication: 26/07/2021
दलीप कुमार शर्मा
प्राचार्य,
प्रणयराज डिग्री कॉलेज,
बज्जू, बीकानेर, राजस्थान
भारत
प्राचार्य,
प्रणयराज डिग्री कॉलेज,
बज्जू, बीकानेर, राजस्थान
भारत
Abstract
का शाश्वत नियम ह ै। संप ूर्ण प्रकृति परिवर्तनशील है। जगत जीवन भी
परिवर्तनशील ह ै एक मौसम के बाद दूसरा मौसम दिन के बन्द रात आ ैर रात
के बाद सुबह आती ह ै। इसी प्रकार परिवर्तनशील जगत के अ ंतर्गत समाज भी
इससे अछूता नहीं रह सकता। इसलिए समाज की समय के साथ-साथ
बदलता रहा है। हां यह तो हो सकता ह ै की सामाजिक जीवन के किसी पक्ष
में परिवर्तन गति तेज हा े इसी में धीमी परंतु परिवर्तन ता े हा ेगा ही इससे
सामाजिक परिवर्तन का प्रभाव विवाह आ ैर परिवार की समस्याओं पर पड़ना
स्वाभाविक है। साहित्य समाज का दर्पण ह ै जब समाज में परिवर्तन होता ह ै ता े
साहित्य में भी परिवर्तन होता ह ै। जिस प्रकार भा ैतिक शरीर की स्थिति और
उन्नति बाह्यभूता ें पर निर्भर ह ै व ैसे ही किसी समाज का बनना आ ैर बिगड़ना।
यहा ं के साहित्य पर निर्भ र करता ह ै।
हिंदी का आधुनिक काल साहित्यिक विकास की दृष्टि से अनुपम एवं
स्वर्ण युग ह ै। इस युग में साहित्य की प्रायः सभी विधाएं जिस त्वरित गति से
समर्थ हुई है। व ैसी स्मृति हि ंदी के पूर्व में भी नहीं देखी र्गइ व्यापकता और
परिणाम की दृष्टि से आधुनिक कथा. साहित्य ने एक मंजिल पर की ह ै।
आधुनिक काल में हर वर्ग आ ैर या ैवन. भावनाओं का स्वच्छंद रूप दिखाई पड ़ता
ह ै।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद नारी की स्थिति में भी सुधार हुआ। आज के
कथाकारा ें में महिला कथाकारा ेए लेखिकाओं का सक्रीय के योगदान कम नही ं
अपितु अभ ूतपूर्व या ेगदान दे रही ह ै। काव्य के क्षेत्र मे ं नारी का ध्यान जीवन की
विविधता की आ ेर गया और उन्हा ेंने राजनीतिक, सामाजिक, ऐतिहासिक,
मना ेवैज्ञानिक, उपदेशात्मक, हास्यव्यंग्य प्रधान, अनमेल विवाह, ब ेमेल विवाह,
अनेतिक रूढ़िया ं, विधवा विवाह, आदि समस्याआ ें को निपुणतापूर्वक अंकित
किया गया है।
http://www.socialresearchfoundation.com/upoadreserchpapers/7/439/2107261159461st%20dalip%20kumar%20sharma%2014469.pdf
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