कला ;चित्रकलाद्ध अध्यनन के विविध स्त्रोत Detailed Introduction to Indian Contemporary Painting
Innovation The Research Concept ISSN: 2456–5474 RNI No.UPBIL/2016/68367 Vol.-6* Issue-6* July- 2021
Paper Submission: 04/07/2021, Date of Acceptance: 13/07/2021, Date of Publication: 24/07/2021
शोध छात्रए
चि त्रकला वि भाग
राजस्थान वि श्ववि द्यालयए
जयपरुए राजस्थानए भारत
Abstract
और शि ल्प तथा साहि त्य के भंडार की गुणवत्ता सेआंका जा सकता हैवि द्या और कला सभी काल में
देश का अनमोल धन रही है। कला हृदय और आंखों को आकर्षि त करती हैए सम्पर्णू र्णवि श्व मेंभारतीय
चि त्रकला उत्तम कोटि की रही हैए भारतीय शास्त्रों के अध्ययन सेपता चलता हैकि कला शब्द को
ललि त कला के लि येएवं शि ल्प कला को उपयोगी कला केलि येप्रयक्तु कि या गया है। सत्य तो यह
हैकि चि त्र बनानेकी प्रवतिृति सर्वदर्व ा सेही हमारे पर्वूजर्व ों मेंवि द्यमान रही हैमनुष्य नेही अपनी मकू
भावनाओं को अपनी तलिूलिका द्वारा टेढ़ी.मढ़ेढ़ी रखे ाकृति यों के माध्यम सेगुफाओं और चट्टानों की
भि त्ति यों पर अंकि त कर अभि व्यक्त कि या। भारतीय चि त्रकला के इति हास का वि भि न्न स्त्रोतों और ग्रन्थों
के माध्यम सेअध्ययन कि या जा सकता है जसै ेकला के ऐति हासि क ग्रन्थ वदेए परुाणए नाट्यए
साहि त्यए संगीतए काव्यए रामायणए महाभारत आदि है। इसके अलावा भारतीय कला को समझने एवं इसकी प्राचीनता का अध्ययन करनेके लि येशि लालखे ों का भी महत्वपर्णू र्ण योगदान रहा है। भारतीय भि त्ति चि त्रों के इति हास मेंजोगीमारा की गुफाओंके बाद अजन्ता के भि त्ति चि त्र भी उल्लखे नीय है। जि नका नि र्मा ण शुगए कुषाणए गुप्त आदि अनेक राजाओंके समय हुआ था। मगु लकाल मेंभी कला का उल्लखे बादशाहों नेअपनी आत्मकथाओंमेंकि या है। भारतीय मद्रुाओंके अध्ययन सेभी प्राचीन भारत के इति हास पर प्रकाश डलता है।
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