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Showing posts from February, 2021

वैश्वीकरण के दौर में हिन्दी भाषा (Hindi Language in the Era of Globalization)

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Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-10* January-2021) Paper Submission: 15/01/2021, Date of Acceptance: 27/01/2021, Date of Publication: 28/01/2021 Abstract बंदना  ठाकुर सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभाग, राजकीय  महाविद्यालय  नौशहरा, भारत व ैश्वीकरण एक प्रक्रिया ह ै जो व्यापारिक क्रियाकलापों के अ ंतर्राष्ट्रीयकरण की द्योतक ह ै। यह प ूरी दुनिया को आर्थि क, सामाजिक आ ैर सा ंस्कृतिक रूप से जोड ़ने की प ्रक्रिया ह ै। वैश्वीकरण के इस युग में हि ंदी भाषा, विश्व भाषा के रूप में उभरी ह ै। हिंदी आज तकनीकी रूप से विकसित है। विश्व के लगभग 100 से अधिक विश्वविद्यालयों में हि ंदी शिक्षण आ ैर शोध कार्य हो रह े है ं। अंतर्रा ष्ट्रीय धरातल पर हि ंदी निरन्तर अपनी आवश्यकता सिद्ध करती जा रही ह ै। नई बाजार संस्कृति मंे आर्थि क तथा सांस्कृतिक दोना ें धरातला ें पर हिंदी की भूमिका में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए ह ैं। आज कंप्यूटर, मोबाइल फोन, ट्विटर, व्हाट्सएप आदि सूचना पा ेर्ट ल में इसक े प ्रया ेग ने हि ंदी भाषा के विकास में असीम बढ़ोतरी की है।    ...

निराला के काव्य मे अजनबीपन का बोध (Understanding Alienation Through the Poems of Nirala)

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Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-10* January-2021) Paper Submission: 15/01/2021, Date of Acceptance: 27/01/2021, Date of Publication: 28/01/2021 Abstract   गरिमा त्रिपाठी शोधार्थी, हिंदी भवन, विश्व0भारती, शान्तिनिकेतन बीरभूम,  पश्चिम बंगाल, भारत अजनबीपन आध ुनिक युग की सबसे ज्वलंत समस्याआ ें में से एक ह ै। व्यक्ति सदैव अपने अस्तित्व बोध से परे गतिशील रहने के कारण अपने वर्तमान से विछिन्न होने की प्रक्रिया में रहता ह ै। उसकी महत्वाकांक्षाए असीम ह ैं, वह वतर्मा न में रहते ह ुए भी भविष्य की ओर अग्रसर है। अपनी सम्भावनाआ ें, महत्वाका ंक्षाओं का े पूर्ण करने के लिए उसके कदम अपने वर्तमान परिवेश से कटकर, उनसे अलग हा ेकर ही आगे बढ़ते ह ै ं। अपने परिवेश अपनी स्थिति से कटकर अजनबी हा े जाना, अपने लोगा ें से कटकर अकेला हो जाना मानवीय अस्तित्व की प्रमुख समस्या बनी र्ह ुइ  ह ै। जिसका अवलोकन हम निराला के काव्य के माध्यम से करेंगे।                Alienation is one of the most burning problems of the mode...

मन्नू भण्डारी के उपन्यासों में सामाजिक और राजनीतिक चेतना का स्वरूप और आलोच्य उपन्यासों का संक्षिप्त परिचय (Nature of Social and Political Consciousness in The Novels of Mannu Bhandari and Brief Introduction of The Novels Under Review)

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Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-10* January-2021) Paper Submission: 15/01/2021, Date of Acceptance: 27/01/2021, Date of Publication: 28/01/2021 Abstract   ईश्वर  सिंह  अध्यापक, शिक्षा विभाग, रा. उ.प्रा. विद्यालय, चाँदबासनी, डीडवाना  (नागौर) राजस्थान, भारत हिन्दी साहित्य जगत् में अन्य गद्य विद्याओं की तरह उपन्यास का प ्रादुर्भाव भी अ ंग्र ेजी साहित्य के अनुसार ही हुआ ह ै। हिन्दी में उपन्यास अंग्र ेजी भाषा के २नाव ेल‟ का ही रूपांतरण ह ै । प्रारम्भ में अ ंगे्रजी के प ्रभाव से ब ंगला उपन्यासा ें की रचना र्ह ुइ । इसका परिणाम यह हुआ है कि हिन्दी के अनेक लेखक ब ंगला के उपन्यास साहित्य से बह ुत प ्रभावित ह ुए। बंगला के अनेक उपन्यासा ें का हिन्दी में अनुवाद ह ुआ । इस प्रसंग में आचार्य रामचन्द्र श ुक्ल ने लिखा ह ै - २२इस उत्थान के भीतर ब ंकिमचन्द्र, रमेशचन्द्र, चंडीचरण सेन, शरत् बाबू, चारूचन्द्र इत्यादि ब ंगला भाषा के प ्रायः सब प्रसिद्ध-प्रसिद्ध उपन्यासकारों की बह ुत सी पुस्तकों के अनुवाद ता े हो ही गये, रवीन्द्र बाबू के भी २आ...

Thematic Studies of Chetan Bhagat’s Novels

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Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-10* January-2021) Paper Submission: 15/01/2021, Date of Acceptance: 27/01/2021, Date of Publication: 28/01/2021  Abstract   B.M. Vaghela  Associate Professor, Dept. of English, S.D. Arts & Shah B.R Commerce College, Mansa, Gujarat, India           Indian English Literature today is an independent discipline, though certain forms of it still remain undeveloped. Indian English fiction, in particular is acclaimed from every corner of the world. The achievement of Indian English novel is unsurpassed. From the famous trio of Indian English novelist R.K. Narayan,MulkRaj Anand and Raja Rao to the young writers like Arundhati Roy, Kiran Desai, Chetan Bhagat etc., have all dealt with different aspects of Indian life and society. Chetan Bhagat is slightly different from all those writers because he not only talks about the typical Indian life and society but also presents ...

Role of Ayurvedic Herbs in Medication

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Anthology The Research: ( ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-10* January-2021) Paper Submission: 15/01/2021, Date of Acceptance: 27/01/2021, Date of Publication: 28/01/2021 Abstract   Annu Bhardwaj  Assistant Professor, Dept. of Botany, Sophia Girls’ College, Ajmer, India Tahira Begum   Assistant Professor, Dept. of Botany, SPC, Government College, Ajmer, India          Ayurveda is a term which means a “Science of Life” and it is a traditional and more acceptable system of medication includes numerous medical concepts and hypothesis. Ayurvedic system is a holistic medication system which comprised of ethical, psychological, physical, and spiritual health. Ayurvedic system has potentiality and delicacy for treatment of various diseases such as cancer, diabetes, arthritis , asthama etc. It act as alternative form of medication from ancient time. This review article on ayurveda focuses on importance of Ayurvedic herbs and their ...

बून्दी जिले मे तिलहन उत्पादन व खाद्य तेल उद्योग का भौगोलिक विश्लेषण (Geographical Analysis of Oilseed Production and Edible Oil Industry in Bundi District)

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Innovation The Research Concept: (ISSN: 2456–5474 RNI No.UPBIL/2016/68367 Vol.-5* Issue-12* January- 2021) Paper Submission: 15/01/2021, Date of Acceptance: 27/01/2021, Date of Publication: 28/01/2021 Abstract   भारतेन्दु गौतम सहायक आचार्य, भूगोल विभाग, राजकीय महाविद्यालय,  बून्दी राजस्थान, भारत उद्या ेग व विनिर्मा ण मानव की प ्रमुख आर्थि क क्रिया है ं। औद्योगिक विकास किसी भी देश के आर्थि क विकास व प ्रगति का द्योतक ह ैं। उद्या ेगा ें का े प ्रयुक्त कच्चे माल के आधार पर विभिन्न श्र ेणियों मे ं वर्गी कृत किया जाता ह ैं। वे उद्या ेग जिनमें कच्चे माल के रूप में कृषि उत्पादों का प ्रयोग होता है कृषि आधारित उद्योग कहलाते ह ैं। खाद्य तेल उद्या ेगा ें में विभिन्न तिलहना ें को कच्चे माल के रूप में प ्रयुक्त किया जाता है ं। भारत जैसे देश में जहां कृषि प्रमुख आर्थिक क्रिया है, कृषि आधारित उद्या ेग अर्थ व्यवस्था में प ्रमुख स्थान रखते ह ैं। राजस्थान में विविध प ्रकार के तिलहना ें का उत्पादन प ्रचुर मात्रा में किया जाता ह ैं। राजस्थान सरसों, सा ेयाबीन, मूंगफली, तिल, अलसी जैसे तिलहना े...

मीडिया के विविध रूप और हिंदी (Various Forms of Media and Hindi)

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Innovation The Research Concept: (ISSN: 2456–5474 RNI No.UPBIL/2016/68367 Vol.-5* Issue-12* January- 2021) Paper Submission: 15/01/2021, Date of Acceptance: 27/01/2021, Date of Publication: 28/01/2021 Abstract   उषा सिन्हा विभागाध्यक्ष, स्नातकोत्तर हिंदी विभाग, संकायाध्यक्ष, मानविकी संकाय भूपेन्द्र नारायण मंडल  विश्वविद्यालय, उत्तरी परिसर, मधेपुरा,  बिहार, भारत आधुनिक युग मीडिया का युग ह ै मीडिया जीवन आ ैर जगत के अ ंर्तसूत्रा ें को जा ेड़ता ह ै। मीडिया के प ैनेपन, विस्तार ताजगी आ ैर गहर्राइ  के कारण जनमानस प्रबंुध हो रहा ह ै। वह हमें समाचार, विचार, अर्थ ए राजनीतिए विज्ञानए अंतरिक्षए प्रौद्योगिकीए कलाए उद्या ेगए फिल्मए फैशनए साहित्यए संस्कृत एवं स्वास्थ्य से परिप ूर्ण तत्वों की जानकारी देता है। मीडिया की ताकत का लोहा सभी मानते ह ैं। मीडिया माहा ैल बनाता ह ै तो बिगाड ़ता भी ह ै। मीडिया ए ेसी शक्ति है, जिसका लोहा सभी मानते ह ै ं। आज की व्यवस्था में मीडिया समाज एवं देश के लिए सलाहकार हित-चिंतक शिक्षक सेवक प्रहरी एवं शासक की भूमिका निभाता है। यह नाम एक आ ैर भ ूमिका अने...

जलवायु परिवर्तनः सामाजिक, आर्थिक मुद्दे और सुधार के प्रयास (भारत देश के संदर्भ मे ) (Climate Change: Social Economic Issues and Effarts for Improvement (In Reference with India))

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Innovation The Research Concept: (ISSN: 2456–5474 RNI No.UPBIL/2016/68367 Vol.-5* Issue-12* January- 2021) Paper Submission: 15/01/2021, Date of Acceptance: 27/01/2021, Date of Publication: 28/01/2021 Abstract   रजनी तसीवाल सह0आचार्य, राजनीति विज्ञान विभाग, राजकीय महाविद्यालय,  टोंक, राजस्थान भारत आज का युग संचार व प्रा ैद्योगिकी का युग ह ै। जा े औद्योगिक क्रान्ति र्ढ़ाइ  सौ वर्ष  पहले प्रारम्भ हुई थी उस मानवीय गतिविधि के प ्रभाव से प ृथ्वी पर उल्लेखनीय परिवर्तन हुए ह ै। समस्त मानवीय गतिविधिया ें में हो रही वृद्धि ने पर्या वरण व जलवायु दा ेना ें को प ्रभावित किया है। अधिक सुख सुविधा जुटाने की होड़ में आज मानवीय क्रिया कलाप वायुमण्डल में ऊष्मा बढ़ाने वाली गैसा ें की संख्या बढ़ाते जा रहे ह ै। सम्पूर्ण सौर मण्डल का विकिरण का लगभग 44 प ्रतिशत हिस्सा पृथ्वी के वायुमण्डल द्वारा अवशोषित कर लिया जाता ह ै। पिछले दा े दशका ें से हमारे वायुमण्डल में ऊष्माशा ेषी गैसा ें कार्ब न र्डाइ  आॅक्साइड, जलवाष्प, नाइट्रस आॅक्साइड, मीथ ेन, क्ला ेरा ेफ्ला ेरा ेकार्बन, सल्फर हेक्सा फ्ला...

ढोला मारू रा दोहा का कथानक - वैशिष्टकय (Story of Dhola Maru Ra Doha - Characteristics)

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Innovation The Research Concept: (ISSN: 2456–5474 RNI No.UPBIL/2016/68367 Vol.-5* Issue-12* January- 2021) Paper Submission: 15/01/2021, Date of Acceptance: 27/01/2021, Date of Publication: 28/01/2021 Abstract   सीताराम मीना सह आचार्य, हिन्दी विभाग, स्व राजेश पायलट राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बॉदीकुई, राजस्थान, भारत यह ‘’ढोला मारू रा दोहा’’ राजस्थानी साहित्य का एक श्रेष्ठ रत्न है। इसकी मनोमुग्धकारिणी कहानी का संबंध आमेर के आख्यानों तथा वीर कछवाहा राजवंश से लोक म ें प्रकट हुआ है। इसका प्रचार यहां तक है कि बाजार म ें पोंथी बेचने वालों के पास भी ढोला मारू की बात अथवा मारू का ख्याल नाम की छोटी-छोटी पुस्तकें हम देख पाते हैं। यह मोहिनी कथा कितने ही लालों को पलने म ें दुलारने और उनके कमल नयनों म ें सर्वइंद्रिय-दुख-हरिणी सुख-निंदिया को बुलाने म ें जादू का सा कार्य करती रही है। डॉ हरिकांत श्रीवास्तव के शब्दों म ें, ‘’ढोला मारू रा दोहा’’ एक ऐसा ही काव्य है जिसमें नायिका के पिता ने बचपन म ें साल्ह कुमार से उसका विवाह कर दिया था। यौ ंवन आने पर नायिका ने अपने पति के वियोग का अनुभव किया ...

हनुमानगढ़ जिले मे गैर परम्परागत कृषि: एक भौगोलिक अध्ययन (Non Traditional Agriculture in Hanumangarh District: A Geographical Study)

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Innovation The Research Concept: (ISSN: 2456–5474 RNI No.UPBIL/2016/68367 Vol.-5* Issue-12* January- 2021) Paper Submission: 15/01/2021, Date of Acceptance: 27/01/2021, Date of Publication: 28/01/2021 Abstract   जगदीश चन्द्र कुम्हार शोधार्थी, भूगोल विभाग, महाराजा गंगा सिंह  विश्वविद्यालय, बीकानेर, राजस्थान, भारत आर.सी. श्रीवास्तव शोध  निर्देशक, भूगोल विभाग, डाॅ. बी.आर. अम्बेडकर  राजकीय महाविद्यालय श्रीगंगानगर, राजस्थान, भारत देश में उद्यानिकी प ्राचीन समय से हा ेती आई ह ै । उत्तम स्वास्थ्य क े लिए हर रोज फलों व सब्जिया ें का यथोचित मात्रा में उपया ेग आवश्यक है। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में फल-फ ूल, सब्जी एव ं मसाले-आ ैषधियों के लिए अनुकूल दशाएं ह ै। जिले में घग्घर (नाली) नदी की उपजाऊ मृदा, मीठा जल, ट्यूबवैल सुविधा, परिवहन, पर्या प्त जनसंख्या, अनुकूल भा ैगा ेलिक दशाएं इत्यादि से गैर परम्परागत खेती (उद्यानिकी) की प्रचुर सम्भावनाएँ ह ैं । इस क्षेत्र में किन्नू, अमरूद, ब ेर, खजूर, ब ेलपत्र, अनार, आंवला, नी ंबू, माल्टा, ग्वारपाठा, अश्वगंधा, तुलसी, गिलोय, मेहन्दी, धनि...

मन्नू भंडारी के साहित्य में संवेदना (Condolences in the literature of Manu Bhandari)

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Innovation The Research Concept: (ISSN: 2456–5474 RNI No.UPBIL/2016/68367 Vol.-5* Issue-12* January- 2021) Paper Submission: 15/01/2021, Date of Acceptance: 27/01/2021, Date of Publication: 28/01/2021 Abstract   ईश्वर  सिंह  अध्यापक, शिक्षा विभाग, रा. उ. प्रा. विद्यालय, चाँदबासनी, डीडवाना  (नागौर) राजस्थान, भारत जब का ेई रचनाकार कृति की रचना करता है तो उसका मुख्य उद्देश्य हा ेता ह ै अपनी अनुभूति एवं मनः तव्य को श्रोता या पाठक के सामने रखना। लेखक अपने विचारों का सम्प्रेषण रचना के माध्यम से करता ह ै एवं कथाकार अप ेक्षाकृत अधिक संव ेदनशील एव ं भाव ुक होता ह ै। अतः वह अपनी युग परिस्थितियों से प ्रभावित हा ेता ह ै। कथाकार युगीन परिवेश के आधार पर अपने विचार रोचकता एवं कलात्मकता के साथ रचना में अभिव्यक्त करता ह ै। युग परिवेश की प ्रतिक्रिया स्वरूप जब लेखक के मन म ें भाव जागृत होता है तब चिन्तन की प्रक्रिया के साथ वह भावना संवेदना में परिणित हो जाती है । वही संव ेदना क ृति में अभिव्यक्त हो जाती है। एक सफल कथाकार अपने विचार विशेष का े वस्तु पात्र और परिवेश के सा ँचे में ढ...

A Comparative Study on Profitability of Selected Indian Private Sector Banks

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Innovation The Research Concept: (ISSN: 2456–5474 RNI No.UPBIL/2016/68367 Vol.-5* Issue-12* January- 2021) Paper Submission: 15/01/2021, Date of Acceptance: 27/01/2021, Date of Publication: 28/01/2021 Abstract   Viren kumar M. Chavda  Research scholar Gujarat University, Navrangpura, Ahmadabad India Amit S. Mehta  Research Guide N. C. Bodiwala and Prin. M.C. Desai Commerce College. Tankshal, Kalupur, Ahmadabad, India         The financial part in India has an extremely enormous history. Private banking was begun since beginning of banking framework in India. Another private division bank is one of the quickest rising parts in India. They energized a world class organization in India having most recent innovation, new framework, new norms of administration and productivity. The PSB have been the prevailing job in the nation's fiscal framework. Effectiveness and benefit of the financial segment in India has accepted basic significance because of soli...

Michael Ondaatje’s Anil’s Ghost: an Aesthetic Voicing of Human Rights

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Innovation The Research Concept: (ISSN: 2456–5474 RNI No.UPBIL/2016/68367 Vol.-5* Issue-12* January- 2021)  Paper Submission: 15/01/2021, Date of Acceptance: 27/01/2021, Date of Publication: 28/01/2021 Abstract   Pritam Singh  Assistant Professor, Dept. of English, Govt. College, Bajju, Bikaner, Rajasthan, India         Since the adoption of the Universal Declaration of Human Rights in Paris by the United Nations General Assembly in 1948, human rights have always drawn attention of the thinking minds towards their violation worldwide and consequent human efforts to sustain and preserve them. Though it has been a specific field of interest for the students of law, history, politics, journalism, and social service; but as it happens, even the students of literature cannot keep themselves detached from such a vast and humanitarian issue. Michael Ondaatje, an expatriate Sri Lankan writer, who himself has been, to some extent, the victim and first hand ...

Inculcating Moral Values in Present Time: Issues and Challenges

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Innovation The Research Concept: ( ISSN: 2456–5474 RNI No.UPBIL/2016/68367 Vol.-5* Issue-12* January- 2021 ) Paper Submission: 15/01/2021, Date of Acceptance: 27/01/2021, Date of Publication: 28/01/2021 Abstract   Saran Prasad  Assistant Professor, Dept. of Education, Central University of Haryana Haryana, India         We have value- dignity. Morality is founded in dignity. As such, value reflects a person’s sense of right and wrong or what “ought” to be. “Equal rights for all” Excellence deserves admiration and people should be treated with respect and dignity are representative of values. Values tend to influence attitudes and behavior. Therefore, only dignity is an extreme end. The absence of moral values among students is the main cause of school fights, cult activities and negative behavior etc. Moreover, if moral values such as trust, honesty and integrity were completely ignored in organizations, then organizations would find it difficult to survi...