Posts

Showing posts from April, 2021

कबीर की विलक्षणता Singularity of Kabir

  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 26/11/2020, Date of Publication: 27/11/2020   शशि बाला रावत प्रवक्ता, हिंदी विभाग, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अगस्त्य मुनि, रूद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड, भारत Abstract हिन्दी साहित्योतिहास का भक्ति काल अपनी कई विशिष्टताआ े के कारण साहित्योतिहासकारों दारा ‘स्वर्ण काल‘ के अभिमान से मंडित किया। इस अभिधान के मूल में जिन भक्तों-संतों का योगदान ह ै उनमें कबीर का व्यक्तित्व अनूठा ह ै। कबीर कवि ही नहीे, समाज-सुधारक भी ह ैं। उन्हा ेंने साहित्यिक एवं सामाजिक दा ेना ें भावनाआ े का निर्वा ह किया ह ैं। कबीर की चेतना विद्रा ेही है, वे जाति-पाॅंति, छूत-अछूत, हिन्दी-तुर्क, वर्ण-‘अवर्ण , राजा-रंक, के भ ेदभाव को समाप्त कर मानवता के प ुजारी थे। कबीर का व्यक्तित्व सर्व जयी थी। ऐस गुरु से कबीर ने सहजता की प ्राप्ति की। कबीर पीड़ा संत्रास में जिए। कबीर वाणी के शहंशाह थे। वीर साधक की अखंड वीरता आत्मविश्वास की कालजयी गोद में ही पल्लवित होती ...

संवैधानिक अधिकार और कर्तव्यो ं का महत्व Importance of Constitutional Rights and Duties

Image
Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 26/11/2020, Date of Publication: 27/11/2020 बुध राम शोध छात्र, राजनीति विज्ञान विभाग, श्री खुशाल दास विश्वविद्यालय, हनुमानगढ ़, राजस्थान, भारत                                                             Abstract    भारतीय नागरिका ें को अपने सर्वा ंगीण विकास के लिए संविधान म ें अधिकारों का वर्ण न किया गया ह ै। संविधान बिना किसी भेदभाव के सभी नागरिकों का े मूल अधिकारा ें की गारंटी देता ह ैं। इसके साथ ही मूल कर्तव्या ें द्वारा नागरिकों का े अपने कर्तव्यों के प ्रति सजग किया गया है ं। इससे देश की एकता, अखण्डता और र्भाइ चारे कि भावना का विकास होता ह ै तथा अपने राष्ट्र के प ्रति सेवा की भावना विकसित होती ह ै। तथा भारत की संस्कृति एवं व ैज्ञानिक दृष्टिकोण का े समझने के साथ सार्व जनिक सम...

उपभोक्ता अधिकार एवं स ंरक्षण Consumer Rights and Protection

Image
  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 16/11/2020, Date of Acceptance: 27/11/2020, Date of Publication: 28/11/2020   मन्ज ू लाडला सह-आचार्य राजनीति विज्ञान विभाग, श्री कल्याण राजकीय कन्या महाविद्यालय, सीकर, राजस्थान, भारत Abstract   उपभोक्ता स़ंरक्षण वर्तमान सन्दर्भ मे बहुत ही महत्वपूर्ण ह ै क्या ेंकि अधिकांश उपभोक्ता अपने अधिकारांे के प्रति अनभिज्ञ ह ै असंगठित ह ै एवम् विक्र ेताआ ें द्वारा उनका पोषण किया जाता ह ै। भारत में उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार द्वारा विधिक प्रावधाना ंे के तहत विभिन्न प्रकार के कानूना ें का निर्माण किया गया है। इनमे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 (संशा ेधित) महत्वपूर्ण ह ै। इसके अन्तर्गत जिला स्तर ,राज्य स्तर एवम् राष्ट्रीय स्तर पर तीन स्तरीय प्रवर्तन व्यवस्था का प्रावधान है। इन्ह े जिला स्तर पर जिला फा ेरम, राज्य स्तर पर राज्य आयोग तथा राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय आया ेग कहा जाता है। उपभोक्ता अदालत भी इस दिशा मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही ह ैं। ये अदालत े ं उ...

एक झलक: राजप ूत स्त्रियों का गौरवमयी आचरण A Glance: Proud Behavior of Rajput Women

Image
  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 26/11/2020, Date of Publication: 27/11/2020   स्न ेही श्रीवास्तव  शोध छात्रा,  इतिहास विभाग,  मड़ियाहँू पी. जी. काॅलेज,  मड़ियाहँू, जौनपुर  उत्तर प्रदेश, भारत Abstract  वीर प ्रसूता राजपूतीय अस्मिता जहाँ एक गा ैरवमयी इतिहास अदम्यशौर्य का प्रमाण है, वही इसकी तरफ जीवंत परम्परा, समृद्धकला, क्षत्राणियों की गा ैरवगाथा उनके सम्मान, बलिदान, सांस्कृतिक तीज-त्या ेहार रंग-बिरंगी भ ेषभूषा ने राजपूतीय संस्कृति की छटा को दुनियाभर में एक अलग रंग बिखेरा ह   Veer Maternity Rajput Asmita While a glorious history is the proof of indomitable beauty, on the same side its vibrant tradition, rich art, glorification of Kshatriyans, their honor, sacrifice, cultural festivals and colorful colorful dress has spread the color of Rajput culture in a different color all over the world for full paper please visit be...

वाल्मीकि रामायण और भारतीय संस्कृति: एक विव ेचन Valmiki Ramayana and Indian Culture: A Discourse

  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020) Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 26/11/2020, Date of Publication: 27/11/2020     गीता शोध छात्रा, संस्क ृत विभाग, बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय, रोहतक, हरियाणा, भारत Abstract वाल्मीकि रामायण भारतीय संस्कृति का एक अनमोल हीरा है रामायण में भारतीय जीवन का दर्श न परंपरा का विशद वर्णन है मात्र पित्र भक्ति भातत्व प्र ेम सामाजिक मर्यादा इन सब का विषय उदाहरण रामायण में देखा जा सकता ह ै। रामायण मानवी जीवन मंत्रया ें की कसा ैटी ह ै त्याग तब वह बलिदान का एक जीवंत उदाहरण रामायण में मिलता ह ै। Yoga is a very ancient tradition of India; Yoga makes human life happy and healthy. Yoga makes the human mind and intellect healthy and healthy. Yoga gives complete control of the human brain and mind and hence the concentration concentration of the senses of the mind is yoga. it is said for full paper please visit below link : http://www.socialresearchfoundation.com/upoadreser...

मेरी नजर मे ं विन¨बा अ©र गांधीजी का ब्रम्हचर्य एक अध्ययन According To Me, A Study of Vinba and Gandhiji

Image
  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 26/11/2020, Date of Publication: 27/11/2020   क े.एच.वासनिक  सह प्राध्यापक,  राजनीति विज्ञान विभाग,  शासकीय विदर्भ ज्ञान विज्ञान  संस्था, अमरावती,  महाराष्ट,ª भारत Abstract   भारत देश में समाज उत्थान में निरन्तर महनीय ल¨ग¨ ं का य¨गदान रहा है। व ैदिक काल में इनका समाज व्यवस्था क¨ सुनिय¨जीत तथा सुव्यस्थित बनाने में महŸवपूर्ण य¨गदान रहा ह ै। मध्यमाल के द©रान मनु ने उनके अनुसार समाज निर्माण की भूमिका क¨ अदा किया। किन्तू मनु आज बह¨त विवादास्पद ह ै। कालांतर बाद भारत मे ए ेसे संत महात्मा ह¨ गये जिन्ह¨ने सुसंस्कृत समाज तथा सुव्यवस्थित शांत समाज निर्मा ण में अपना तमाम जीवन बिताया। ऊन महान महनीय व्यक्ती की विचारधारा का असर आज भी हम समाज में देखत े ह ै। आधुनिक भारत निर्माण में कई सामाजिक संत¨ का य¨गदान रहा है। जिनम ें विन¨बा अ©र गा ंधी अग्रक्रम रखते ह ै। इन महनीय व्यक्तिअ¨ं की समाज के प ्रति ब ्रम्...

भारतीय शिक्षा मे ं स्वामी दयानन्द सरस्वती का योगदान Swami Dayanand Saraswati's Contribution to Indian Education

Image
  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 26/11/2020, Date of Publication: 27/11/2020   प्रतिभा यादव शोधार्थिनी इतिहास विभाग, मड़ियाहूँ पी0जी0कालेज मड़ियाहूँ, जौनपुर,उ0प्र0,भारत ं Abstract   स्वामी दयानंद सरस्वती उन महान संतो म ें से एक ह ै जिन्होंने देश म ें प ्रचलित अंधविश्वास, रूढ़िवादिता, विभिन्न प ्रकार के आडम्बरा े व सभी अमानवीय आचरणा ें का विरोध किया। हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप मंे मान्यता देने तथा हिन्दू धर्म के उत्थान एवं इसक े स्वाभिमान को जगाने ह ेतु स्वामी जी के महत्वपूर्ण योगदान के लिये भारतीय जनमानस सदैव उनका ऋणी रहेगा। स्वामी दयानन्द सरस्वती के शिक्षा सम्बन्धी विचार तथा उनके द्वारा किये गय े सामाजिक उन्नति पर अध्ययन करना अति आवश्यक है। जिसका विवरण विभिन्न रचनात्मक प्रयोगा ंे का े समग्रता से शामिल करते ह ुये उनपर विचार किया गया है। Swami Dayanand Saraswati is one of the great saints who opposed the superstitions, orthodoxies, various type...

जल स ंरक्षण और महिला सशक्तिकरण Water Conservation and Women Empowerment

  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 28/11/2020, Date of Publication: 29/11/2020   अंशु गा ैड ़ सहायक प्राध्यापक, विधि विभाग, सेज यूनिवर्सिटी इंदौर, मध्य प्रदेश, भारत Abstract   आज के समय में जल स्तर निरंतर नीचे जा रहा ह ै जिसका मूल सो्रत वर्षा  का जल ह ै । केंद्रीय जल आयोग का अनुमान ह ै की भारत की नदिया ें में प्रत्येक वर्ष  औसतन लगभग 1869 बिलियन घन मीटर जल बह जाता ह ै । भारत में कुल 12 नदिया ं ही ऐसी ह ै जिनमे सालों भर पानी रहता ह ै- गंगा, यमुना, गा ेदावरी, कृष्णा, नर्मदा, ब्रह्मप ुत्र आदि। महिलाएं जल की प्रमुख उपया ेग कर्ता  होती ह ै । व े खाना पकाने, कपडे धोने, परिवार की स्वछता सर्फाइ  के लिए जल प्रयोग करती ह ै । In today's time, the water level is constantly being lowered, whose basic source is rain water. The Central Water Commission estimates that on an average about 1869 billion cubic meters of water flows into India's r...

शिक्षण के पहिए: शिक्षण प्रतिमान Teaching Wheels: Teaching Paradigms

Image
  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020) Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 26/11/2020, Date of Publication: 27/11/2020 राजेन्द्र कुमार यादव प्राध्यापक, शिक्षा विभाग, ग्राम्यांचल पी.जी. कलेज हैदरगढ़, बाराबंकी, उ.प्र., भारत              Abstract सीखने सिखाने की व्यवस्थाआ ें को उन्नतशील, रोचक व बोधगम्य बनाने के लिए अनेकानेक युक्तिया ें व उपायों का प ्रयोग किया जाता रहा है। इन्ही उपायों में से एक उपाय शिक्षण प्रतिमान या टीचिंग माॅडल ह ै। इन शिक्षण प्रतिमाना ें के सहारे हम शिक्षण को बोधगम्य बनाते ह ै, साथ ही शिक्षण का े रा ेचक बनाते ह ै ं। प ्रभावी शिक्षण के द्वारा वास्तविक सृजन हो जाता ह ै। महान शिक्षाशास्त्री भ् ब् ॅलसक कहते ह ै कि ‘‘ किसी आदर्श के अनुरूप व्यवहार का े ढालने की प ्रक्रिया को शिक्षण माॅडल माना जाता ह ै।‘‘ महान दार्शनिक महात्मा गा ंधी अपना अनुभव बताते ह ुए कहते ह ै ं कि मेरे जीवन पर राजा हरिश्चन्द्र नाटक का प्रभाव रहा है। एक आदर्श जो मुझ े प ूरे जीवन प्रभावित क...

आदिवासियो ं मे ं गोदना स ंस्कारऋ एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण Tattoo Sacrament In Tribes _ One Scientific Vision"

  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 26/11/2020, Date of Publication: 28/11/2020 प्रियंका साह ू सहायक प्रोफेसर इतिहास विभाग, गवर्नमेंट मॉडल कॉलेज, शाहपुरा, डिंडोरी, भारत   Abstract   आदिवासियों में गा ेदना भले ही एक श्रृंगार परक संस्कार प्रतीत होता ह ै, परंतु यह अपने अ ंदर विविध दृष्टिका ेणों का े समाहित किया ह ुआ ह ै। सुरक्षात्मक दृष्टिकोण में जहा ं गोदना वह अभिव्यक्ति ह ै जा े जाति चिन्हों के रूप में व्यक्ति का े सुरक्षा भाव में संप ृक्त करता ह ै। वही ं सामाजिक दृष्टिकोण में यह समुदाय से जुड़ाव की भावनाए समाज में सम्मान प्राप्ति की अवधारणाएं सा ैंदर्य व ृद्धि की अवधारणा, तथा अलौकिक मान्यताओं व विश्वास से संब ंधित ह ै। पारंपरिक रूपाकारों में चित्रित किए जाने वाले यह गा ेदने देवताओं का े प्रसन्न करने वाले सौभाग्य को प्रदान करने वाले तथा शरीर को स्वस्थ रखने वाले भी होते ह ै। वहीं व ैज्ञानिक दृष्टिका ेण से देख ें ता े गा ेदना का चिकित्सीय महत्व भी बह ुत...

जनजातिय समुदाय की विविध समस्याए ं एव ं उनका समाधान (उदयपुर संभाग के सम्बन्ध मे ं) Diverse Problems of Tribal Communities and Their Solutions (In Relation To Udaipur Division)

  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 15/03/2018, Date ofAcceptance: 26/04/2018, Date of Publication: 20/11/2020   वीणा सनाढ्य सहायक निदेशक, काॅलेज शिक्षा, उदयपुर, राजस्थान, भारत Abstract   राजस्थान में कुछ ए ेसे समूह ह ै ं जा े अन्य समाजा ें से प्रारंभ से ही दूर रहे ह ैं। आज भी बड़ी संख्या में समाज से कटे यह लोग जंगलों व पहाड़िया ें म ें निवास करते हैं जिन्हें जनजाति आदिवासी या ट्राइबल कहा जाता है। राजस्थान का जनजाति संख्या की दृष्टि से भारत में पांचवा स्थान ह ै दक्षिणी भूभाग डूंगरपुर बांसवाड़ा व उदयप ुर जिले के कुछ भाग में यह सदिया ें से रहते आए ह ैं, इनमें भील, मीणा गरासिया एडामोर आदि जनजातियां प्रमुख है यह सभी जनजाति उपयोजना क्षेत्र में आती ह ै ं जा े विभिन्न प्रकार की आंतरिक व बाह्य समस्याओं से ग्रसित ह ै ं क्षेत्र में सुविधाआ ें का अभाव होने से गरीबी म ें जकड़े ह ुए ह ैं ऋणग्रस्तता प्रमुख समस्या ह ैए अन्य सामाजिक समस्याए ं तो है ही पर अनेक सरकारी या ेजनाए ं व स्वयंसेवी समूह इसमे...

अनाथ व सामान्य किशोरो ं की निष्पत्ति का तुलनात्मक अध्ययन Comparative Study of Orphans and Ordinary Adolescents

Image
  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 16/11/2020, Date of Acceptance: 26/11/2020, Date of Publication: 27/11/2020   राजीव कुमार सिह सहायक प्राध्यापक, कला विभाग, एस.एस.डी.सी., कानपुर, उत्तर प्रदेश, भारत Abstract   अध्ययन करन े के उपरान्त यह निष्कर्ष  प ्राप्त हा ेता ह ै कि कानपुर नगर के किशोरों व देहात के किशोरों व अनाथ किशोरों में बह ुत सी सामान्यतः पाई गयी ह ैं तथा शहर की अपेक्षा देहात में सुविधायें नहीं थी किन्तु शहर म ें र्कइ  अनाथालय में अनाथ किशा ेरों की शिक्षा, सुरक्षा तथा उनमे सामान्य की स्थिति र्पाइ  गयी किन्तु देहात में ए ेसी सुविधया नही ं इस प्रकार शा ेधकर्ता ने सामान्य को ध्यान में रखकर अनुस ंधान कार्य किया। After studying, it is concluded that in Kanpur city teenagers and rural teenagers and orphans are more common and did not have facilities in the countryside than in the city, but many orphanages in the city have education, safety and Normal condition ...

महाकवि भारवि की काव्यशास्त्रीय विशेषता Poetic Feature of The Great Poet

Image
  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067  Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 25/11/2020, Date of Publication: 26/11/2020   विद्या विन्द शोध छात्रा, संस्क ृत विभाग, राम अवध यादव, गन्ना कृषक महाविद्यालय, शाहगंज, जौनपुर, उत्तर प्रदेश, भारत Abstract   महाकवि भारवि की एकमात्र रचना किरातार्जुनीयम् ह ै। महाकवि भारवि की गणना संस्कृत के श्र ेष्ठ महाकाव्यों में की जाती है। किरातार्जु नीयम् 18 सर्गों में निबद्ध महाकवि भारवि का एकमात्र महाकाव्य ह ै। जिसमें का ैरवा ें पर विजय प ्राप्ति के लिए अर्जु न का हिमालय पवर्त पर जाकर तपस्या करने, किरात वेशधारी शिव से युद्ध और प ्रसन्न शिव से पाशुपत अस्त्र की प्राप्ति का वर्ण न है। सर्ग के आरम्भ में वनेचर द्वैतवन म ें निवास कर रहे युधिष्ठिर के समक्ष आता ह ै। आ ैर दुर्या ेधन की राज्यस्थिति तथा उनके मना ेभावा ें को जानकर प ुनः द्वैतवन में आकर युधिष्ठिर का े बताता ह ै। महाकाव्य का प ्रथम सर्ग राजनीतिक विषय का भण्डार ह ै। कवि द्वारा सुन्दर उक्तिया ें के माध्यम ...

भारत की आन्तरिक सुरक्षा: गम्भीर चुनौती India's Internal Security: A Serious Challenge

Image
  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 25/11/2020, Date of Publication: 26/11/2020     रूदल कुमार सिंह असिस्ट ेंट प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, किसान स्नातकोŸार महाविद्यालय, रकसा, रतसर, बलिया, उत्तर प्रदे‛ा, भारत Abstract आज दे‛ा के लिए बह ुत महत्वप ूर्ण हो गया ह ै आन्तरिक सुरक्षा का मुद्दा। अब आन्तरिक सुरक्षा एक नए प ्रकार की जंग लड़ने जैसा ह ै। आन्तरिक सुरक्षा के साथ आध ुनिक विज्ञान आ ैर तकनीक जुड़ र्गइ  ह ै। इसक े चलत े आन्तरिक सुरक्षा आ ैर ज्यादा संव ेदन‛ाील, जटिल आ ैर कठिन हो र्गइ  ह ै। अब परमाण ु आतंकवाद की बात भी ॉाुरू हो गयी ह ै। हो सकता ह ै, किसी आतंकवादी संगठन के हाथ परमाण ु हथियार लग जाए ं ता े व े आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती बन सकते ह ैं। पारम्परिक युद्ध की बजाय अब छदम् युद्ध के रूप में आंतरिक सुरक्षा हमारे लिए बड़ी चुनौती बन गयी ह ै। धीरे-धीरे यह आंतरिक सुरक्षा के सीमित दायरे से आगे की बात हा ेती जा रही ह ै। अब जबकि आंतरिक सुर...

प्लास्टिक: एक अभिशाप Plastic: A Curse

Image
  Anthology The Research: (ISSN: 2456–4397 RNI No.UPBIL/2016/68067 Vol-5* Issue-8* November-2020)   Paper Submission: 15/11/2020, Date of Acceptance: 26/11/2020, Date of Publication: 27/11/2020     बृजमा ेहन मीना सहायक आचार्य, प्राणी शास्त्र विभाग, राज. महाविद्यालय, बांदीकुई राजस्थान भारत Abstract   देश के प्लास्टिक उद्योग की ओर से हाल ही में बयान आया कि वह देश में प्लास्टिक उद्या ेग का े दा े गुना करना चाहते ह ै ताकि इस क्षेत्र म ंे रा ेजगार बढाया जा सकें। जिस उद्या ेग की उत्तरा ेत्तर घटाने की जरूरत है, वहाॅं ए ेसा इरादा चिंता प ैदा करता ह ै। प्लास्टिक मनुष्य जाति के लिये जितना खतरनाक हो सकता ह ै। इसकी कल्पना अब से 50-60 साल पहले किसी को नहीं थी। उस जमाने में प्लास्टिक के खिलौने बनते थ े, बड े-बड े ढा ेल आ ैर टंकियाॅं बनने लगी थी आ ैर तार, टेलिफोन में प्लास्टिक का साम्राज्य हर क्षेत्र म ें फ ैल गया ह ै। प्लास्टिक पर्यावरण के लिये परमाण ु बम से भी ज्यादा खतरनाक ह ै। प्लास्टिक 100 साल तक भी नष्ट नहीं होता ह ै। यह नालिया ें में बहकर जाता ह ै तो उनका े बन्द...